जामनगर विमान हादसे में IAF फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव की मौत हो गई। 10 दिन पहले सगाई और नवंबर में शादी थी। जानें कैसे अंतिम क्षणों में उन्होंने सह-पायलट और अन्य की जान बचाई।
28 वर्षीय सिद्धार्थ हरियाणा के रेवाड़ी के निवासी थे और उस समय जगुआर लड़ाकू विमान से ट्रेनिंग मिशन पर थे। रात करीब 9:30 बजे विमान में तकनीकी खराबी आ गई।
उन्होंने और उनके सह-पायलट ने कोशिश की कि विमान आवासीय क्षेत्रों में न गिरे। को-पायलट बच गए, लेकिन सिद्धार्थ ने आखिरी पल में सह-पायलट और नागरिकों के लिए प्राणों की आहुति दे दी।
सिद्धार्थ सैन्य परिवार से थे। उनके परदादा ब्रिटिशकाल में बंगाल इंजीनियर्स में थे, दादा अर्धसैनिक बल और पिता IAF में रह चुके हैं। उन्होंने 2016 में NDA पास कर 3 साल की ट्रेनिंग की।
दो साल की सेवा के बाद उन्हें फ्लाइट लेफ्टिनेंट के पद पर पदोन्नत किया गया। वह एक मेधावी छात्र था और हमेशा से ही उड़ान भरने का सपना देखता था।
सिद्धार्थ की सगाई 10 दिन पहले ही हुई थी। 2 नवंबर को विवाह था। हादसे से ठीक पहले परिवार से मिलकर लौटे थे। पिता सुजीत यादव ने कहा, “उसने दूसरों की जान बचाने के लिए अपनी जान दी।
पिता सुजीत यादव ने कहा कि, मुझे गर्व है, लेकिन एक पिता के लिए यह नुकसान असहनीय है। वह मेरा इकलौता बेटा था।
IAF के अनुसार, विमान में तकनीकी खराबी आ गई थी और पायलटों को बाहर निकलने का आदेश दिया गया।
सिद्धार्थ के पार्थिव शरीर को सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव भालकी-माजरा में शुक्रवार को अंतिम संस्कार के लिए लाया गया।