संडे के दिन महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा उलटफेर हो गया है। शरद पवार के भतीजे और विपक्ष के नेता अजित पवार महाराष्ट्र की शिंदे-फणनवीस सरकार में शामिल हो गए। वह डिप्टी सीएम बने हैं।
अजित पवार के एनसीपी छोड़ने की पहली वजह है कि जब शरद पवार ने 2 मई को NCP अध्यक्ष पद छोड़ा था तो अजित ने कहा था कि वह अपना फैसला वापस नहीं लेंगे। जबिक इस्तीफा वापस ले लिया।
अजित पवार की एनसीपी छोड़ने की दूसरी वजह है कि उन्हें एनसीपी की कमान नहीं सौंपी गई। जबकि सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया।
अजित पवार की नराजगी की तीसरी वजह है कि हाल ही में शरद पवार ने पटना में विपक्षी एकता बैठक में मंच साझा करना। अजित इसके खिलाफ थे।
चौथी वजह जो सामने आई है कि शरद पवार ने राहुल गांधी के साथ सहयोग करने के एकतरफा फैसला लिया। जबकि इसके बारे में अजित पवार से कोई बातजीत नहीं की गई।
अजित पवार की पांचवी और आखिरी वजह थी कि उन्हें और उनके समर्थकों को लगातार शरद पवार अनदेखा कर रहे थे। पार्टी के फैसलों में उनकी सहमति नहीं ली जाती थी। वह अपने चाचा से असंतुष्ट हैं।
अजित पवार के 8 विधायकों भी मंत्री बनाया है। इनमें छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल, धर्मराव अत्राम, सुनील वलसाड, अदिति तटकरे और हसन मुश्रीफ शामिल