9 अप्रैल 2024 से हिंदू नववर्ष की शुरूआत हो रही है। जिसे देश में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। महाराष्ट्र में नव-सवंत्सर, कहीं गुड़ी-पड़वा, दक्षिण में उगादी के रूप में मनाते हैं
गुड़ी पड़वा दो शब्दों से मिलकर बना है। गुड़ी शब्द का अर्थ विजय पताका और पड़वा का अर्थ प्रतिपदा से होता है। बताते हैं इस पर्व को विधि-विधान से मनाने पर घर में सुख और समृद्धि आती है।
धार्मिक मान्यता है कि आज ही के दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना का काम शुरू किया था। यानि गुड़ी पड़वा से सतयुग की शुरूआती हुई थी। इसे सृष्टि का प्रथम दिन या युगादि तिथि भी कहते हैं।
तीसरी मान्यता है कि आज के दिन उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की शुरुआत की थी। प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री ने अपने अनुसन्धान की रचना भी आज ही की थी।
आज के दिन की दूसरी मान्यता यह भी है कि आज ही के दिन चैत्र प्रतिपदा पर भगवान श्रीराम ने बालि का वध कदिया था, जिसके बाद विजय पताका फहराई गई थी। इसलिए यह त्यौहार मनाया जाता है।
गुड़ी पड़वा मराठियों का बड़ा त्यौहार है। मान्यता है आज के दिन माराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी ने मुगलों से युद्ध जीता था। जिसके बाद शिवाजी ने पहली बार गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया था।