नागपुर में औरंगजेब कब्र विवाद को लेकर हिंसा भड़की हुई है। 11 इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। जिसके बाद से ही औरंगजेब, उसके इतिहास की चर्चाएं बढ़ गई है।
औरंगजेब 6वां मुगल शासक था, जो सबसे क्रूर माना जाता है। पिता शाहजहां को कैद और भाईयों की हत्या करने के बाद 1658 में मुगल तख्त पर बैठा था।
इतिहासकारों के अनुसार, अकूत खजाने और शासक होने के बावजूद औरंगजेब टोपियां बुना करता था। अपने दरबार में बैठकर भी वह टोपियां बुनता रहता था। कई किताबों में भी इसका जिक्र है।
इतिहासकारों के मुताबिक, औरंगजेब शारीरिक परिश्रम से रोजी-रोटी कमाने के पक्ष में था। वह अपना कुछ समय नमाज की टोपियां बुनने और कुरान लिखने में बिताया करता था।
इतिहासकारों का कहना है कि औरंगजेब अपने निजी खर्चे के लिए शाही खजाने के इस्तेमाल के पक्ष में नहीं था। इसलिए खुद की बनाई टोपियां बेचता और इससे मिलने वाले पैसे से अपने खर्चे चलाता था।
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि औरंगजेब इस्लामी शिक्षा के अनुसार ही सादा जीवन जीना पसंद करता था। वह अपनी क्रब के लिए पैसे जुटाने के लिए अंतिम समय में भी टोपियां बुनता था।
इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब जो टोपियां बनाता था, उनकी कीमत उस जमाने में 14 चांदी के सिक्के और 12 आना हुआ करती थी। तब सोने की मोहरें, चांदी-तांबे के सिक्के चलते थे।