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कौन हैं मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल, पानी का भी किया त्याग

मराठा आंदोलन तेज होने से महाराष्ट्र सरकार परेशानी में है। इस आंदोलन के नेता मनोज जारांगे पाटिल हैं। भूख हड़ताल कर रहे जारांगे ने पानी भी त्याग दिया है।

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बीड जिले के रहने वाले हैं मनोज जारांगे पाटिल

मनोज जारांगे पाटिल मूल रूप से महाराष्ट्र के बीड जिले के रहने वाले हैं। वह 15 साल पहले सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के आंदोलन में शामिल हुए थे।

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1 सितंबर को पुलिस ने किया था लाठीचार्ज

पाटिल 29 अगस्त से अतरावली-सराटे गांव में भूख हड़ताल पर थे। 1 सितंबर को पुलिस ने उन्हें जबरन अस्पताल में भर्ती कराने की कोशिश की और समर्थकों पर लाठीचार्ज कर दिया।

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लाठीचार्ज के बाद मनोज को देशभर में मिली पहचान

लाठीचार्ज को मनोज जारांगे ने मराठी अस्मिता से जोड़ा और अनशन जारी रखा। इस दौरान पूरे महाराष्ट्र में उग्र विरोध प्रदर्शन हुआ और मनोज को देशभर में पहचान मिली।

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मराठा आरक्षण के लिए किए कई विरोध प्रदर्शन

मनोज ने आरक्षण को लेकर कई मार्च और विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया है। आंदोलन के लिए पैसे जुटाने और जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी 4 एकड़ जमीन में से 2.5 एकड़ बेच दी है।

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विरोध प्रदर्शन के लिए बनाया शिवबा संगठन

मनोज ने विरोध प्रदर्शन करने के लिए शिवबा नाम का संगठन बनाया है। 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को रद्द कर दिया था। इसके बाद पाटिल ने विरोध प्रदर्शन किए थे।

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मनोज ने तीन महीने तक दिया था धरना

मनोज के नेतृत्व में जालना के साश्त-पिंपलगांव में तीन महीने तक धरना दिया गया, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पाटिल को बैठक के लिए बुलाया था।

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परेशानी में है राज्य सरकार

41 साल के मनोज जारांगे पाटिल मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अब आमरण अनशन पर हैं। उनके अनशन से राज्य सरकार परेशानी में है। बुधवार को आरक्षण को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई।

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