देशभर में हर्ष-उल्लास के साथ महाशिवरात्रि की पूजा की जा रही है। मंदिरों में भीड़ उमड़ रही है। इसी मौके पर जानिए एक ऐसे मंदिर के बारे में जहां, शिवलिंग ही नहीं है।
बिना शिवलिंग या शिव प्रतिमा वाला यह मंदिर है माउंटआबू में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर......। इसका जिक्र पुराणों में है। यहां भोलेनाथ का दाहिने पैर के अंगूठे की पूजा होती है।
यह मंदिर पर्वत पर स्थित है और ऐसी मान्यता है कि इस पर्वत को भोलेनाथ ने अपने पैर के अंगूठे पर उठा रखा है। दरअसल महादेव का यह मंदिर सिरोही जिले में माउंटआबू में एक पर्वत पर है।
मान्यता है कि पर्वत में एक गहरी खाई थी और इस खाई में ऋषि वशिष्ठ की गायें गिर जाया करती थीं। आए दिन इस परेशानी से उनको साधना करने में समस्या आती थी।
भोलेनाथ ने काशी में थे उन्होनें अपने वाहन नंदी को इस खाई को पाटने के लिए भेजा। लेकिन बाद में पता चला कि इस पर्वत को अर्बुद नाम के एक सांप ने उठा रखा है।
भोलेनाथ ने सांप के इस घमंड को चूर किया और काशी में बैठे बैठे ही इस पर्वत को अपने पैर के अंगूठे से थाम लिया। तभी से यहां पर पैर के अंगूठे की कृति पूजी जाती है।
आबू को ऋषि वशिष्ठ की तप स्थली के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर में पूजा करने के लिए हर साल बड़ी संख्या में भक्त आते हैं और उनकी मुरादें पूरी होती है।