अल्बर्ट हॉल म्यूजियम, जयपुर की स्थापना, इतिहास और 2300 साल पुरानी मिस्र की ममी से जुड़े 10 रोचक तथ्य जानें। जानें इसके स्थापत्य कला, टिकट दरें और संग्रहालय की खास बातें।
ये म्यूजियम राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय है, जिसे 1887 में जनता के लिए खोला गया। यह इंडो-सरसेनिक स्थापत्य शैली की शानदार इमारत है, जिसे बनने में 10 साल और 5 लाख रुपये लगे थे।
अल्बर्ट हॉल म्यूजियम की सबसे अनोखी वस्तु मिस्र की 2300 साल पुरानी ममी 'तूतू' है, जिसे मिस्र से लाकर यहां सुरक्षित रखा गया है।
जयपुर के अलावा कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, हैदराबाद और वडोदरा के संग्रहालयों में भी मिस्र की ममी मौजूद हैं।
अल्बर्ट हॉल म्यूजियम में रखी गई ममी की देखभाल मिस्र के कैरो म्यूजियम के विशेषज्ञों के निर्देशानुसार की जाती है।
यह इमारत इंडो-सरसेनिक शैली में बनी है और राजस्थान के सबसे खूबसूरत संग्रहालयों में से एक है।
अल्बर्ट हॉल म्यूजियम में मुगल, ब्रिटिश और राजस्थानी काल की अनमोल कलाकृतियां प्रदर्शित हैं।
संग्रहीत यहां मिस्र की देवी सेखेत, राजा एमेनहोतेप तृतीय की प्रतिमा और अन्य प्राचीन मिस्री मूर्तियां भी रखी गई हैं।
यहां गुप्त, कुषाण, मुगल और ब्रिटिश काल के सिक्कों का संग्रह है, साथ ही प्राचीन धातु व हस्तशिल्प कलाकृतियां भी देखी जा सकती हैं।
यह संग्रहालय रात में 7 से 10 बजे तक खूबसूरत रोशनी में जगमगाता है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है।
आने वाले पर्यटकों के लिए अल्बर्ट हॉल म्यूजियम देखने लायक जगहों में से एक है, जहां इतिहास और कला का अनूठा संगम देखने को मिलता है।