यह मंदिर जोधपुर का उच्छिष्ट गणेश का मंदिर है। 50 साल पुराने इस मंदिर की एक खास बात यह है कि इसे साल में एक बार खोला जाता है आज यह मंदिर सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक खोला गया है।
मंदिर के पंडित कमलेश बताते हैं कि यह मूर्ति जयपुर में बनी हुई है। जिसे तंत्र विद्या से स्थापित करने के बाद मंदिर में इस मूर्ति को किसी ने हाथ नहीं लगाया।
जब मंदिर को 12 घंटे के लिए खोला जाता है तो उससे पहले करीब चार घंटे तक वैदिक मंत्रोचार कर होता है उसके बाद मंदिर को खोला जाता है।
सबसे खास बात तो यह है कि हर मंदिर में जहां भगवान गणेश के साथ उनकी दोनों पत्नी रिद्धि और सिद्धि विराजती हैं। इस मंदिर में केवल रिद्धि विराजी हुई हैं और वह भी भगवान गणेश की सूंड में।
यह तस्वीर मंदिर के पुजारी ने दी है। अंदर ऐसी ही प्रतिमा है। प्रतीकात्मक फोटो प्राण प्रतिष्ठा से पहले सामने आई थी, फिर फोटो खींचने पर बैन लगा दिया। अब किसी के पास फोटो नहीं है।
इस मंदिर की मूर्ति के के बारे में दावा किया जाता है कि भगवान गणेश की 52 मुद्राओं में से एक आठवीं मुद्रा के दर्शन यहीं पर होते हैं