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क्यों अनसुलझा है राजस्थान के श्रापित तिमणगढ़ किले का रहस्य

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तिमणगढ़ किले में 80 से अधिक प्राचीर हैं

तिमणगढ़ किले में 80 से अधिक प्राचीर हैं, इसके मुख्य द्वार को जगनपोल के नाम से जाना जाता था, खजाने की अफवाहों के चलते असामाजिक तत्वों ने किले को खंडहर बना दिया

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नटनी के श्राप से नष्ट हुआ था किला

कहावतें हैं कि इस किले को एक नटनी के श्राप के चलते नष्ट किया गया था, किला बहुत सुंदर होने पर भी पर अपना वैभव बचाकर नहीं रख सका

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किसने करवाया था तिमण किले का निर्माण?

तिमणगढ़ दुर्ग का निर्माण महाराजा तिसमान ने करवाया था, वे दूसरी शताब्दी के बहुत ही शक्तिशाली शासक थे, इनका साम्राज्य आधुनिक हरियाणा, पंजाब से लेकर सिंध तक फैला हुआ था

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किले की सागर झील में पारस पत्थर होने की चर्चाएं

किला 1196 और 1244 ई. के बीच मुहम्मद गौरी के कब्जे में रहा, कहते हैं कि सागर झील के तल पर पारस पत्थर है, जो लोहे को सोना बना देता है

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क्या है तिमणगढ़ किले का इतिहास?

तिमणगढ़ किला राजस्थान के करौली जिले में है, किला 1100 ई. में बनवाया गया था, जिसे जल्द नष्ट कर दिया गया, किले को 1244ई में चौलुक्यी राजा तीमंपल ने दोबारा बनवाया था

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किले के नीचे दफन हैं दुर्लभ और बेशकीमती मूर्तियां

किवदंतियां हैं कि किले में अष्ठधातु की प्राचीन और मिट्टी की विशाल और छोटी मूर्तियों को किले के मंदिर के नीचे छुपाया गया है

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