तिरुपति मंदिर के प्रसाद की कॉन्ट्रोवर्सी जारी है। सीएम चंद्रबाबू नायडू का आरोप है कि लड्डओं में चर्बी का इस्तेमाल होता है। जानते हैं देश के चर्चित मंदिरों में प्रसाद कैसे बनता है।
महाकाल मंदिर का प्रसाद बेसन की बजाय चने की दाल से बनता है। दाल मंदिर की चक्की में पिसती है। रवा, काजू किसमिस की क्वालीटी चेक करने के बाद ही मंदिर समिति खरीदती है।
महाकाल के प्रसाद में इस्तेमाल होने वाला घी सांची डेयरी का इस्तेमाल होता है, जो शासन द्वारा अर्धिकृत है। प्रसाद की क्वालिटी और शुद्वता के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है।
अयोध्या के राम मंदिर का प्रसाद एक खादी ऑर्गेनिक प्राइवेट कंपनी तैयार करती है। जिसे सरकार और प्रशासन चेक करता है। ताकि क्वालिटी और शुद्वता रहे। ऑललाइन भी इसे डिलेवर किया जाता है।
अयोध्या मंदिर में भगवान राम को खीर , केसर भात, कलाकंद , बर्फी , गुलाब जामुन, पंचामृत , पंजीरी और लड्डू-पेड़े का भोग लगाया जाता है। भगवान को लगने वाला भोग मंदिर परिसर में बनता है।
इसी तरह सीकर के प्रसिद्ध खाटूश्याम मंदिर में खाटू श्याम बाबा को आज भी पारंपरिक चूरमे, पराठे आदि का भोग लगाया जाता है।
खाटुश्याम मंदिर का यह प्रसाद मंदिर परिसर में ही तैयार होता है। इसके अतिरिक्त यदि कोई प्रसाद लेकर आता है तो वह प्रसाद चढ़ाकर वापस ले जाता है।