हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया है। इसके लिए उन्होंने सिविल कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है।
विष्णु गुप्ता ने रिटायर्ड जज हरबिलास शारदा की किताब में दिए गए तथ्यों को आधार बनाते हुए याचिका दायर की है। आखिर कौन हैं हरबिलास शारदा?
जोधपुर हाईकोर्ट में सीनियर जज रह चुके हरबिलास शारदा का जन्म 1 जनवरी, 1867 को हुआ था। उन्होंने 1892 में अजमेर के न्यायिक विभाग में बतौर सब जज काम करना शुरू किया था।
हरबिलास शारदा ने 1902 में अजमेर-मेरवाड़ा में सत्र न्यायाधीश के तौर पर काम किया। इसके बाद 1925 में जोधपुर हाईकोर्ट में सीनियर जज रहे।
हरबिलास शारदा ने 1925 में बाल विवाह को रोकने के लिए असेंबली में बिल पेश किया था। शारदा बिल के नाम से 1929 में ये पास हुआ और 1930 में देशभर में लागू हुआ।
हरबिलास शारदा की किताब 'अजमेर:हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव' में दावा किया गया है कि जहां अभी दरगाह है, वहां पहले शिव मंदिर था।
हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के मुताबिक, किताब में साफ लिखा है कि यहां पहले ब्राह्मण दंपती रहते थे, जो हर दिन सुबह भगवान शिव का जलाभिषेक और चंदन से तिलक लगाते थे।
हरबिलास शारदा ने ये किताब 1911 में लिखी। वे कोई आम शख्स नहीं बल्कि जोधपुर हाईकोर्ट में सीनियर जज रह चुके हैं।