रामनवमी पर अयोध्या में दोपहर 12 बजे तक रामलला का पहला सूर्य तिलक हुआ। तीन मिनट तक रामलला के मस्तक पर सूर्य की किरणें पड़ती रहीं।
सूर्य तिलक के लिए बेंगलुरु की कंपनी ने अष्टधातु के 20 पाइप से सिस्टम बनाया। कंपनी ने 1.20 करोड़ के इस सिस्टम को दान किया। पूरा सिस्टम 65 फीट लंबा है।
सूर्य तिलक में लगने वाली चीजें बेंगलुरु कंपनी ऑप्टिक्स एंड एलाइड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड ने बनाया है। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की (CBRI) ने इसे डिजाइन किया है।
हर साल रामनवमी पर सूर्य किरणें रामलला का अभिषेक इसी तरह करेंगी। साल 2043 तक इसकी टाइमिंग भी बढ़ती रहेगी। 2043 में 2024 की टाइमिंग फिर से रिपीट की जाएगी।
CBRI के साइंटिस्ट ने बताया कि भारतीय खगोलीय भौतिकी संस्थान बेंगलुरु (IIA) की रिसर्च के अनुसार, हर साल सूर्य तिलक का टाइम ड्यूरेशन बढ़ेगा। 19 साल तक कुछ न कुछ टाइम बढ़ेगा।
2024 रामनवमी को रामलला का सूर्य तिलक जितनी देर यानी 3 मिनट का हुआ, 19 साल बाद 2043 में उतनी ही देर सूर्य का तिलक रिपीट होगा यानी किया जाएगा।
वैज्ञानिकों का कहना है कि हर साल सूर्य ज्यादा देर तक निकलता है। 19 साल बाद सूर्य पहले की ही अवस्था में आ जाता है। इसलिए सूर्य तिलक 2043 में इसी समय तक होगा।
CBRI ने बताया कि सूर्य तिलक के सिस्टम में अच्छी और महंगी क्वालिटी का सामान लगाया गया है, जो जल्दी खराब नहीं होगा। इसका इस्तेमाल हर साल रामनवमी पर हो सकेगा। ज्यादा बदलना नहीं पड़ेगा