राजा मर्दन सिंह के पिता प्रहलाद ने किले में रहने वालीं 7 लड़कियों के साथ दरिंदगी की थी, लड़कियों ने किले से कूदकर जान दे दी थी, कहते हैं कि उनकी आत्माएं किले में भटक रही हैं
1850 में मर्दन सिंह ललितपुर के बानपुर के राजा बने थे, 1857 की क्रांति में लक्ष्मीबाई के साथ अंग्रेजों से लड़े, मर्दन सिंह के पिता प्रहलाद अकेले ही तालबेहट के किले में रहते थे
7 लड़कियों की खुदकुशी के बाद तालबेहद में प्रहलाद सिंह के खिलाफ आक्रोश फैल गया था, पिता के गुनाहों का प्रायश्चित करने मर्दन सिंह ने लड़कियों के चित्र किले के मुख्य द्वार पर बनवाए थे
मर्दन सिंह ने भले अपने पिता के गुनाहों का प्रायश्चित किया, मगर लड़कियों की आत्मा को मुक्ति नहीं मिली, उनकी चीखें आज भी किले में गूंजती हैं,अंधेरे में किले में कोई नहीं जाता है
ओरछा नरेश बुंदेला महाराजा रामशाह की 11वीं पीढ़ी के वंशज थे, तालबेहट किले में तीन मंदिर हैं, ये अंगद-हनुमान और नरसिंह भगवान को समर्पित हैं, किला एक झील के किनारे खड़ा है