इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि हिंदू विवाह तभी कानूनन वैध माना जाएगा, जब वो सप्तपदी रस्म के साथ हो, अग्नि को साक्षी मानकर 7 फेरे-7 वचनों को सप्तपदी कहा जाता है
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि शादी में सप्तपदी के सबूत जरूरी हैं, सिर्फ आधे-अधूरे फोटो से कोई शादी नहीं मानी जा सकती है
मौसमी नामक महिला ने आरोप लगाया था कि 5 जून, 2017 को उसका विवाह सत्यम से हुआ था, लेकिन पति ने तलाक दिए बिना दूसरी शादी कर ली, हालांकि पति ने इन आरोपों को नकार दिया था
मौसमी ने पति और ससुरालवालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न सहित कई आरोपों के साथ पुलिस में शिकायत की थी, इस पर सीओ सदर मिरजापुर ने जांच की और आरोपों को झूठा करार दिया था
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह केस सिर्फ परेशान करने के मकसद से किया गया था, हिंदू शादी में सप्तपदी एक अनिवार्य रस्म है, इस केस में ऐसा कोई सबूत नहीं, जो दूसरी शादी को स्थापित करे