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अब गूगल अपनी AI टेक्नोलॉजी की हेल्प से आंखों को स्कैन कर बता देगा कि कोई हार्ट डिजीज है या नहीं। मतलब अब आने वाले समय में आपको सीटी स्कैन, MRI की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इस AI टेक्नोलॉजी पर गूगल ने 4 साल पहले काम शुरू किया था। गूगल के रिसर्चर्स और जॉइंट हेल्थ टीम ने डायबिटिक रेटिनोपैथी का पता लगाने एआई टेक्नोलॉजी बनाई।
डायबिटिक रेटिनोपैथी दुनियाभर में ब्लाइंडनेस की मुख्य वजह है। रिसर्चस ने एक ऐसा एल्गोरिदम डेवलप किया, जो बीमारी के संकेतों की पहचान कर आंखों की समस्या बता देगी।
सबसे खास बात यह है कि यह टेक्नोलॉजी आंखों को स्कैन कर उसका इलाज भी सेकेंड्स में बता देती है। इस टेक्नोलॉजी में रेटिना को अच्छे से स्कैन किया जा सकता है।
इस साल की शुरुआत में गूगल ने ऐसा एल्गोरिदम डेवलप किया है, जो इंसान के सेक्स, स्मोकिंग हैबिट और हार्ट अटैक का प्रेडिक्शन भी रेटिना स्कैन कर बता देता है।
गूगल ने एआई को खास तरह से ट्रेन किया है। रेटिना स्कैन कर डिमेंशिया, मल्टीपल स्केलेरोसिस, पार्किंसंस, अल्जाइमर, सिजोफ्रेनिया जैसी बीमारियों का पता लगा सकता है।
आंख की रियर इंटरनल वॉल को Fundus कहते हैं। यह ब्लड वेसल्स से भरी होती है। यह हमारी ओवरऑल हेल्थ को बताती है। शरीर में कौन सी बीमारियां पनप रही हैं, इसका पता लग जाता है।
गूगल ने एआई एल्गोरिदम को ट्रेन करने करीब 3 लाख पेशेंट का डेटा यूज किया है। इसमें आंखों का स्कैन और जनरल मेडिसिन डेटा शामिल था। यह हार्ट डिजीज को पहचानने में 70% सफल रहा।
गूगल का AI एल्गोरिदम हार्ट डिजीज पहचाने के साथ डॉक्टरों के लिए फायदेमंद है। इसकी हेल्प से कुछ ही समय में बीमारी का पता आसानी से लगाया जा सकता है।
अभी AI एल्गोरिदम मेडिकल डाटा एनालाइज कर रहा है। ताकि आने वाले समय में नए और एडवांस तरीके से बीमारियों का पता लगाया जा सके और उसका इलाज भी बताया जाए।