सिक्किम में बादल फटने के बाद साउथ लहोनल झील में पानी जा गिरा, जिससे पहले से खतरनाक मानी जा रही यह झील ओवरफ्लो होकर तीस्ता नदी में तबाही ला दी। 23 जवान लापता हैं।
चुंगतांग के पास लेचन वैली में साउथ लहोनल ग्लेशियर झील को पहले से ही खतरनाक माना जा रहा है। इसे हिम लेक या ग्लेशियल लेक नाम से भी जानते हैं। कई बार इसे लेकर चेतावनी जारी हुई है।
ग्लेशियर के पानी से बनी यह झील करीब ढाई किमीर लंबी और आधा किमी चौड़ी है। इसकी गहराई 10 मंजिला मकान के बराबर है। इस इलाके की 14 ग्लेशियल झीलों को संवेदनशील माना गया है।
सिक्किम के सुदूर उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में बनी यह झील पहले काफी छोटी थी। बाद में ग्लेशियर के पानी के कारण बढ़ने लगी। तभी से विशेषज्ञ बादल फटने या बरसात में इसे लेकर अलर्ट कर रहे थे
यह झील समुद्र तल से 17,100 फीट ऊंचाई पर है। इसका निर्माण लोनाक ग्लेशियर के पिघलने से हुआ है। यहां मौजूद ग्लेशियरों के अतिरिक्त पिघले पानी से झील में पानी का स्तर तेजी से बढ़ रहा।
पहली बार सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी और संयुक्त राज्य वायु सेना को 1960 और 1972 में यह झील ग्लेशियर के मुहाने पर सुपरग्लेशियल झील की तरह दिखी। 1977 में इसे संवेदनशील बताया गया।
1977 में झील का क्षेत्रफल 17.54 हेक्टेयर था, साल 2008 में 81.1 हेक्टेयर बढ़ गया। सिक्किम की अशांत पहाड़ी घाटियों में होने से खतरा ज्यादा है। यहां से पानी तेजी से नीचे बढ़ता है।
ग्लेशियर से बनी यह सबसे बड़ी हिमनद झीलों में से एक है। दो साल पहले इसका क्षेत्रफल 126 हेक्टेयर था। इसकी लंबाई 2.30 किमी और चौड़ाई 600-700 मीटर तक है।