49 साल पहले शेख हसीना को एक ऐसा जख्म मिला था, जिसकी याद में आज भी पूरा बांग्लादेश हर साल 15 अगस्त को शोक मनाया जाता है। इस दिन पड़ोसी मुल्क में राष्ट्रीय शोक रहता है।
15 अगस्त के दिन ही बांग्लादेश संस्थापक और पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गई थी। इसी के चलते वहां इस दिन राष्ट्रीय शोक दिवस मनाया जाता है। सार्वजनिक छुट्टी होती है
15 अगस्त 1975 को शेख हसीना के पिता, बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति और राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर्रहमान की सेना के जवानों ने गोलियों से भून डाला था। तब वे ढाका के धानमंडी वाले घर में थे
15 अगस्त 1975 को शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान के साथ ही उनकी मां और बहन-भाइयों की भी हत्या कर दी गई थी लेकिन किसी तरह शेख हसीना बच गईं।
जब शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या हुई थी, तब शेख हसीना बांग्लादेश में नहीं, जर्मनी में अपनी बहन रेहाना शेख के साथ थी। फैमिली की हत्या से वह टूट चुकी थी, बांग्लादेश लौट नहीं सकती थी।
फैमिली की हत्या के बाद शेख हसीना भारत में शरण ली और तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने उन्हें सपोर्ट और प्रोटेक्शन दिया। शेख हसीना दिल्ली के पंडारा रोड में एक आवास पर 6 साल तक रहीं।
15 अगस्त को बांग्लादेश में काला झंडा फहराया जाता है, राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहता है। इस बार तख्तापलट बाद स्थिति अलग है। मुहम्मद यूनुस की सरकार ने 15 अगस्त की छुट्टी रद्द कर दी है।