बांग्लादेश: पहले हिंदुओं पर अत्याचार, अब रमजान में अपने ही निशाने पर
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बांग्लादेश: पहले हिंदुओं पर अत्याचार, अब रमजान में अपने ही निशाने पर

बांग्लादेश में हालात बद से बदतर
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बांग्लादेश में हालात बद से बदतर

बांग्लादेश में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद वहां हिज्ब उत तहरीर और जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी संगठन मनमानी कर रहे हैं।

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हिंदुओं पर अत्याचार के बाद अब निशाने पर दरगाहें
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हिंदुओं पर अत्याचार के बाद अब निशाने पर दरगाहें

मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार बनने के बाद बांग्लादेश में सैकड़ों सूफी दरगाहों पर हमले किए जा रहे हैं। रमजान के महीने में भी इस्लामी कट्टरपंथी कई मजारों, दरगाहों को तोड़ चुके हैं।

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बांग्लादेश में रहीम शाह बाबा भंडारी की मजार को फूंका
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बांग्लादेश में रहीम शाह बाबा भंडारी की मजार को फूंका

रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिनाजपुर के घोराघाट में रहीम शाह बाबा भंडारी की मजार में आग लगा दी गई। अगस्त 2024 के बाद से कट्टरपंथियों ने 100 से ज्यादा दरगाहों को नुकसान पहुंचाया है।

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कट्टरपंथियों के हाथ की कठपुतली बने यूनुस

वहीं, कट्टरपंथियों के हाथ की कठपुतली बनी यूनुस सरकार ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया है, जिससे देश को नुकसान पहुंचाने वाली ताकतों के हौसले बढ़े हुए हैं।

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बांग्लादेश में 12000 मजारें, 17000 दरगाहें

बता दें कि बांग्लादेश में करीब 4-6 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो सूफिज्म को मानते हैं। वहां सूफियों की 12000 से ज्यादा मजारें और 17000 दरगाहें हैं।

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कट्टरपंथियों ने दरगाहों पर होने वाली कव्वाली, नाच-गाना बताया हराम

ग्लोबल सूफी ऑर्गनाइजेशन का कहना है- कट्टरपंथी सूफी दरगाहों को खत्म करने की धमकियां दे रहे हैं। उनका कहना है कि दरगाहों पर होने वाली कव्वाली, नाच-गाना इस्लाम में हराम है।

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6 सितंबर 2024 को पहली बार हुआ था दरगाह पर हमला

बांग्लादेश में अगस्त, 2024 में शेख हसीना सरकार गिरने के बाद 6 सितंबर को कट्टरपंथियों ने सिलहट में हजरत शाह पोरान दरगाह पर हमला किया। इसके बाद देशभर की दरगाहों पर हमले बढ़ गए।

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सदियों से बांग्लादेश का हिस्सा रहा है सूफी समुदाय

ग्लोबल सूफी ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, सूफी समुदाय यहां सैकड़ों साल से है। देश की संस्कृति में हमारा अहम योगदान है। कट्टरपंथियों का ये कदम एक तरह से बांग्लादेश की संस्कृति पर हमला है।

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