कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। उन्होंने 7 जनवरी को पीएम पद के साथ ही लिबरल पार्टी के शीर्ष नेता का पद भी छोड़ दिया है।
जस्टिन ट्रुडो के इस्तीफे के बाद से ही कनाडाई मीडिया में तरह-तरह की अटकलें और रिएक्शन शुरू हो गए हैं। जानते हैं आखिर क्या है उनके पद छोड़ने की पांच सबसे बड़ी वजहें।
भारत से पंगा लेने के बाद ही कनाडा की अर्थव्यवस्था बिगड़ने लगी। बड़ी संख्या में कनाडा में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स ने वीजा कैंसिल किए, जिसका सीधा असर वहां की इकोनॉमी पर पड़ा।
ट्रुडो ने भारत विरोधी एजेंडा चलाया, जिसके चलते वे लंबे समय से अपनी ही पार्टी में विरोध का सामना कर रहे थे। वहीं विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी ने उनके लूपहोल्स को जनता के सामने रखा।
जस्टिन ट्रूडो जब सत्ता में आए तो उन्होंने UN सिक्योरिटी काउंसिल में जगह न बनाने पर पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर की आलोचना की। हालांकि, वो खुद इस मामले में कुछ नहीं कर पाए।
जस्टिन ट्रूडो कनाडा में लगातार खालिस्तानियों का सपोर्ट करते रहे, जिस पर भारत सरकार ने कई बार आपत्ति जताई। ऐसे में ट्रुडो को भारत विरोधी एजेंडा भारी पड़ गया।
उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे के बाद ट्रुडो ने अपनी गलतियों का ठीकरा उन पर ही फोड़ दिया। उन्होंने कहा कि उनके पद छोड़ने के पीछे पार्टी के ही कुछ नेताओं की गलती है।
विदेश नीति के मोर्चे पर भी ट्रुडो की कड़ी आलोचना हुई। खासकर भारत और चीन के साथ उन्होंने संबंध खराब कर लिए। विरोधियों ने भारत-चीन को लेकर उनकी कूटनीति को भी अनुभवहीन बताया।