भारत के दामाद और भारतीय मूल के ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का पद गंवा चुके हैं। लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर (Keir Starmer) के हाथों हार का सामना करना पड़ा है।
ऋषि सुनक की पार्टी इस बार भले ही हार गई है लोकिन ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री बनकर इतिहास बना चुके हैं। 44 साल के ऋषि सुनक की इस चुनाव में हार के कई कारण रहे हैं।
सुनक की लग्जरी लाइफ हमेशा चर्चा में रही। विपक्ष हमेशा मुद्दा उठाता रहा कि जनता महंगाई झेल रही और सुनक, उनकी वाइफ लग्जरी लाइफ जी रहे। लेबर पार्टी ने इसे चुनाव में भी मुद्दा बनाया।
अर्थव्यवस्था सुनक के गले की फांस बनी है। ब्रिटेन में 70 साल के इतिहास में टैक्स सबसे ज्यादा है। सरकार के पास लोगों पर खर्च करने के पैसे ही नहीं है। सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ गया था।
ब्रेग्जिट बाद ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था बुरे दौर में पहुंच गई। लिज ट्रस ने टैक्स बढ़ाए। इकोनॉमी क्रैश होने लगी। इस्तीफा देना पड़ा। सुनक पीएम बने लेकिन उन्हें लेकर पार्टी में फूट आ गई
सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी 14 साल से सत्ता में रही लेकिन इतने में 5 प्रधानमंत्री बनाए गए। बार-बार पीएम बदलने से जनता का विश्वास कंजर्वेटिव पार्टी से कम हुआ, सत्ता विरोधी लहर बनी।
2018 में ब्रिटेन की पॉलिटिक्स में नई रिफॉर्म यूके पार्टी आई, जिसके नेता नाइजल फराज की लोकप्रियता काफी ज्यादा बढ़ गई। जिसकी वजह से सुनक ने 6 महीने पहले ही चुनाव करा दिया और हार हुई।
PM ऋषि सुनक की कई नीतियों से लोगों में नाराजगी थी। अवैध आप्रवासन भी मुद्दा बना। लोगों का मानना था कि इसकी आड़ में भ्रष्टाचार-आर्थिक कुप्रबंधन जैसे मुद्दों को भटकाने की कोशिश की।