कतर में 8 भारतीय पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा मिली है। उन्हें राहत दिलाने की कोशिश शुरू हो गई है। एक्सपर्ट के मुताबिक, यह निचली अदालत का फैसला है, संवैधानिक पीठ से पुष्टि बाकी है।
अल दाहरा कंपनी के कर्मचारी इन भारतीयों को जासूसी के कथित मामले में 30 अगस्त 2022 को अरेस्ट किया गया था। कतर के अधिकारियों ने उन पर लगाए गए आरोप सार्वजनिक नहीं किए थे।
भारत के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि इसकी ऊपरी अदालत में अपील की जाएगी। सजा पाए भारतीय नागरिकों के समर्थन में सबूत रखे जाएंगे। सजा कम कराने की कोशिश की जाएगी।
इटली मरींस केस में अंतरराष्ट्रीय कानूनों, समुद्री क्षेत्र अधिनियम 1976, भारतीय दंड संहिता और UNCLOS 1982 के तहत कानूनी लड़ाई लड़ी गई थी। कतर में इसी की मदद ली जा सकती है।
संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) साल 1982 में तय अंतरराष्ट्रीय संधि है। इसमें देशों की संप्रभुता, सामुद्रिक क्षेत्रों, अधिकार,नौसैनिक अधिकारों के कई प्रावधान हैं।
कतर में भारत के पूर्व नौसैनिकों को बचाने परिजनों ने 'कतर के अमीर' शेख तमीम बिन हमद अल थानी के सामने दया याचिका दायर की है, जो रमजान और ईद पर क्षमादान देते हैं।
पूर्व नौसेनिक कतर अमीरी नौसेना में इतावली यू-212 स्टील्थ पनडुब्बियों को शामिल करने का काम देख रहे थे। 2022 में कस्टडी के 11 महीने बाद एकांत कारावास से बाहर आए अब मौत की सजा मिली।