हमास-इजराइल युद्ध के बीच आतंकियों के आका कतर ने इजराइल की जासूसी करने के आरोप में भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई है।
कतर के इस फैसले पर भारत सरकार ने हैरानी जताते हुए कहा है कि हम उन्हें छुड़ाने के लिए कानूनी रास्ते तलाश रहे हैं। जल्द इस पर एक्शन लिया जाएगा।
बता दें कि खुद को इस्लामिक देशों का आका समझने वाला कतर पूरी दुनिया में आतंकवाद का सबसे बड़ा समर्थक है। यहां तक कि आतंकियों को शह देने में वो ईरान से भी एक कदम आगे है।
कतर के संबंध हमास के अलावा तालिबान, इस्लामिक स्टेट, अल कायदा, हिज्बुल्लाह, मुस्लिम ब्रदरहुड, अल नुसरा फ्रंट समेत कई अन्य आतंकी संगठनों से हैं।
कतर पर इन आतंकी संगठनों को फंडिंग देने के साथ ही इस्लाम की आड़ में आतंकवादी एजेंडा चलाने के भी आरोप लगते रहे हैं। बावजूद इसके वो अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।
कतर पर 2014 में ISIS को फंडिंग करने, 2020 में हिजबुल्लाह की आर्थिक मदद करने और जून, 2021 में अल नुसरा फ्रंट को पैसे भेजने के आरोप लग चुके हैं।
इसके अलावा कतर गाजा में एक्टिव फिलिस्तीन समर्थित आतंकी गुट हमास का बड़ा हमदर्द है। कतर के पैसों से ही हमास के आतंकियों को वेतन मिलता है।
यहां तक कि हमास के कई बड़े नेताओं ने कतर में ही शरण ले रखी है और वहीं से इजराइल के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को चलाते हैं। इनमें इस्माइल हानिया और याह्या सिनवार शामिल हैं।
कतर ने राजधानी दोहा में तालिबान का पॉलिटिकल ऑफिस खुलवाया था। वो इन तालिबानी आतंकियों को सुरक्षा देने के साथ ही उनकी मेहमाननवाजी भी करता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कतर के शाह के पर्सनल ऑफिस के जरिए इराक और सीरिया में एक्टिव आतंकी संगठन अल-नुसरा फ्रंट को अरबों डॉलर की मदद दी गई थी।