इजरायल हमास युद्ध में कई बार कहा गया कि हमास फिलिस्तीनियों का सच्चा प्रतिनिधि नहीं है। हमास फिलिस्तीन नहीं है, इसलिए इजराइल को गाजा पर हमले रोक देना चाहिए।
हमास के हमले के बाद इजराइल ने गाजा में जवाबी कार्रवाई की। जिसमें करीब 13 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए। हालांकि, हमास ने पहले इजराइल के 1,200 लोगों की निर्मम हत्या की।
हाल ही में कुछ फिलिस्तीनी लोगों ने खुलकर हमास का विरोध किया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 10 नवबंर को नाराज भीड़ ने हमास की पुलिस पर हमले भी किए। एक जगह और विरोध हुआ।
1987 में शेख अहमद यासिन नाम के इमाम और उनके साथी अब्देल अजीज अल रानतिसी ने हमास बनाया। जिसका मकसद इजरायल को खत्म कर फिलिस्तीन को मुक्त करना था।
2005 में इजरायली सेना के पीछे हटने के बाद गाजा पर हमास का नियंत्रण हुआ। 2006 के चुनाव में उसने फिलिस्तीनी अथॉरिटी की संसद में बहुमत हासिल किया और सरकार बनाई।
गाजा में हमास ने पहले लोक कल्याण काम किए, बाद में भ्रष्टाचार हावी हुआ और उसका समर्थन करने वालों ने चुनाव अस्वीकार कर दिया। वेस्ट बैंक से सत्ता गई, फिलिस्तनी अथॉरिटी में रसूख कम हुआ
2008 के राष्ट्रपति चुनाव में फताह के मोहम्मद अब्बास फिलिस्तीनी अथॉरिटी चीफ बने। फताह दो धड़ों में बंटा। फिलिस्तीनी अथॉरिटी का वेस्ट बैंक में शासन रहा। गाजा में हमास की सत्ता बनी।
हाल में गाजा में हुए सर्वे के अनुसार, 44% लोगों को हमास पर पहले जैसा भरोसा नहीं। 23% का भरोसा कम हुआ है। 18-29 उम्र वाले इनमें ज्यादा हैं। जुलाई में गाजा में हमास के काफी समर्थक थे
गाजा के 22 लाख लोगों पर हमास का लंबे समय तक कंट्रोल रहा। जब 2006 के बाद चुनाव हुए तब बहुत से लोगों की उम्र 18 साल नहीं थी, वे वोट नहीं दिए। अब उनमें गुस्सा बढ़ रहा है।