यरूशलम और उसके आसपास का इलाका यहूदियों यानी इजराइली लोगों के धर्म का उद्गम स्थान माना जाता है। इस धर्म में ईश्वर की परिकल्पना इस्लाम और ईसाई धर्म से मिलती जुलती है।
यहूदी धर्म में एकीश्वरवाद माना जाता है। ईश्वर का कोई स्वरूप नहीं है। इसमें मूर्ति की पूजा नहीं होती है। माना जाता है कि ईसाई-इस्लाम और यहूदी तीनों के उद्गम का गहरा संबंध है।
यहूदी धर्म दुनिया के सबसे प्राचीन धर्मों से है। यहूदी मानते हैं कि उनका धर्म सृष्टि रचना के समय से है। वे एक ईश्वर को मानते हैं, जिसका कोई अवतार नहीं, जो दूत के जरिए संदेश भेजता है
यहूदी अपने ईश्वर को यहवेह या यहोवा कहते हैं। यहोवा ही अब्राहम, इसाक और जैकब के ईश्वर भी बताए जाते हैं।
यहूदी धर्म की मान्यताएं कहती हैं कि मूसा को ईश्वर का संदेश फैलाने का आदेश दिया गया था। यहोवा ने इजराइली लोगों को एक ही ईश्वर की पूजा करने का आदेश दिया।
यहूदी लोग मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करते हैं। वे अपने ईश्वर को किसी तरह का स्वरूप नहीं देते हैं। इसी कारण यहूदियों के ईश्वर की कोई तस्वीर या मूर्ति नहीं होती है।
पैगंबर अब्राहम (अबराहम या इब्राहिम) यहूदी धर्म को शुरू करने वाले माने जाते हैं। जो ईसा से 2,000 वर्ष पूर्व हुए थे। उनके दो बेटे थे, जिनका नाम इसहाक और इस्माइल था।
अब्राहम के पोते याकूब का दूसरा नाम इजरायल था। उनके एक बेटे का नाम यहूदा (जूदा) था। जिसके वंशज ही यहूदी कहलाते हैं। उनका धर्म यहूदी धर्म कहा जाता है।