इजराइल-हमास जंग में इजरायल को अमेरिका सहित पश्चिम और कुछ एशियाई देशों का समर्थन मिल रहा है। वहीं, फिलिस्तीन को अरब समेत कई मुस्लिम देशों का समर्थन मिल रहा है।
इजरायल-फिलिस्तीन विवाद सिर्फ जमीन का झगड़ा है। फिलिस्तीन एक खास जमीनी इलाका है। 100 सालों के इतिहास और इजराइल बनने के बाद से ही अरब और फिलिस्तीन का इजराइल से विवाद है।
अरब-इजरायल विवाद दो धार्मिक समुदायों का विवाद है। इजरायल फिलिस्तीन विवाद की जड भी यही है। यह संघर्ष 20वीं सदी से चला आ रहा है। अरब देश हमेशा फिलिस्तीनियों के समर्थन में रहे हैं।
पहली बार सीधा टकराव 20वीं सदी में हुआ। इजरायल के यहूदी यरूशलम और आसपास को अपना देश मानते हैं। इस्लाम के लिए भी यह जगह उनकी है। दोनों धर्म अब्राहम को पितामह मानते हैं।
19वीं सदी में जिनोइज्म के उदय के साथ विवाद शुरू हुआ। तब बाइबल में यहूदियों को पवित्र जमीन लौटाने की बात कही। वहीं, अरबों ने भी फिलीस्तीन को यह क्षेत्र दिलाने का संकल्प लिया।
आज जहां इजराइल है, वहां तुर्की का ओटोमान साम्राज्य हुआ करता था। पहले विश्वयुद्ध में तुर्की की हार के बाद ब्रिटेन का कब्जा हो गया। इससे पहले इस जगह को मुस्लिम फिलिस्तीन कहते हैं।
19वीं सदी में ओटोमन साम्राज्य बिखरने के बाद तुर्क-अरबों में टकराव हुआ।आजादी के लिए यहूदी-अरबों से मित्र राष्ट्रों की प्रथम विश्व युद्ध में सहायता की। तभी अरब राष्ट्रवाद का उदय हुआ।
प्रथम विश्व युद्ध बाद ब्रिटिश मैनडेटरी फिलिस्तीन बना। यहूदी इसे मातृभूमि मानते थे। अरब आंदोलन में यह फिलिस्तीन (मुस्लिम) इलाका था। 1947 में फिलिस्तीनी-यहूदी में गृहयुद्ध छिड़ा।
1948 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीनी इलाके को अरबों-यहूदियों की सहमति से दो हिस्सो में बांटा। इसमें एक इजराइल बना। अरबों ने अगले ही दिन इजरायल पर हमला कर विवाद की शुरुआत कर दी।