दुनिया की नंबर वन खुफिया एजेंसियों में शामिल इजराइल की मोसाद की इस वक्त खूब आलोचना हो रही है। हमास के हमले के बाद से ही मोसाद पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
डिफेंस और इंटेलिजेंस में सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसी कही जाने वाली मोसाद से आखिर कौन-सी चूक हुई, जिसकी वजह से एजेंसी हमास के खूंखार इरादों को भांप नहीं पाई।
यहां तक कि इजराइल की सरकार ने भी मोसाद की नाकामी को एक बड़ी चूक बताया है। इजराइल का कहना है कि हम इस इंटेलिजेंस फेल्योर की बारीकी से जांच कर रहे हैं।
डिफेंस एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मोसाद गलतफहमी और ओवरकॉन्फिडेंस का शिकार हुई है। उसे लगता था कि हमास पहले से काफी कमजोर हो चुका है। दुश्मन को कमजोर समझना ही सबसे बड़ी भूल है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 3 साल पहले इजराइल का दो अरब देशों से समझौता हुआ था। इसके तहत UAE और बहरीन ने इजराइल से रिश्ते सुधारने की तरफ कदम बढ़ाए थे।
इजराइल से इन दोनों अरब देशों की मध्यस्थता अमेरिका ने कराई थी। इसके बाद मोसाद ने ये मान लिया कि अब फिलिस्तीन समर्थक कम हो जाएंगे, जिससे हमास से खतरा बेहद कम होगा।
मोसाद से यहीं चूक हो गई और उसने हमास के खिलाफ खुफिया जानकारी जुटाने में गंभीरता नहीं बरती। दूसरी ओर, हमास लगातार ईरान-हिजबुल्ला के साथ मिलकर हमले की तैयारी करता रहा।
एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि मोसाद ह्यूमन इंटेलिजेंस के बजाय टेक्नोलॉजी पर ज्यादा डिपेंड हो गई है, जिसकी वजह से वो हमास के खिलाफ खुफिया जानकारी जुटाने में नाकाम रही।