पिछले डेढ़ महीने से युद्ध झेल रहा हमास अब हार की कगार पर पहुंच चुका है। दूसरी ओर, इजराइल ने अपनी खुफिया एजेंसी मोसाद को साफ कहा है कि वो हमास के कमांडरों को मार गिराए।
हमास को उम्मीद थी कि इजराइल के साथ जंग में ईरान और हिज्बुल्ला उसका साथ देंगे। लेकिन अमेरिका के दखल के बाद दोनों ने ही घुटने टेक दिए और इस जंग में कूदने से साफ मना कर दिया।
यही वजह है कि इजराइल से अकेले लड़ रहा हमास अब हार की कगार पर पहुंच चुका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमास इस हार के लिए ईरान ओर हिजबुल्ला को दोषी ठहरा रहा है।
इंडिया नैरेटिव की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने ईरान और हिजबुल्लाह को धमकी दी कि वो इस जंग से दूर रहे। इससे दोनों डर गए और गाजा की जंग से किनारा कर लिया।
अगर ईरान अमेरिका की धमकी को नजरअंदाज करता तो इसके नतीजे बुरे हो सकते थे। अमेरिका ईरान का हाल भी गाजा की तरह कर देता।
इसी डर के चलते ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खुमैनी ने हमास के नेता इस्माइल हानिया से साफ कहा था कि उसने इजराइल पर अचानक हमला करने से पहले उसे क्यों नहीं बताया।
ईरान ने साफ कह दिया था कि हमास-इजराइल की जंग में ईरान शामिल नहीं होगा। वहीं, लेबनान समर्थित आतंकी गुट हिजबुल्ला ने भी हमास का खुलकर साथ देने से साफ मना कर दिया।
ईरान के पूर्व विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जारिफ का भी कहना है कि हमारा फिलिस्तीन को समर्थन देने का मतलब ये कतई नहीं है कि हम युद्ध में उनके साथ लड़ेंगे।
खुद को इस्लामिक दुनिया का मसीहा बताने वाले ईरान का उसके प्रति ये रवैया देखकर हमास के आतंकी भड़के हुए हैं। चौतरफा घिर चुके हमास के पास अब समझौते के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।