इजराइल ने अपने सबसे बड़े दुश्मन और हमास चीफ इस्माइल हानिया को ईरान में मार गिराया है। हमास ने खुद बयान जारी कर इस बात की पुष्टि की है।
इस्माइल हानिया के ईरानी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचने की जानकारी इजरायली खुफिया एजेंसियों को पहले से थी।
इजराइल की खुफिया एजेंसी ने इस्माइल हानिया पर बराबर नजर रखी और उसके हर एक मूवमेंट की जानकारी इजरायली सेना को भेजी। इसके बाद IDF ने गाइडेड मिसाइल से हानिया के ठिकाने को उड़ा दिया।
सवाल ये है कि इजराइल ने इस्माइल हानिया की हत्या के लिए आखिर ईरान को ही क्यों चुना। वो उसे कतर, तुर्की या कहीं और भी तो मार सकता था।
दरअसल, इस्माइल हानिया कतर में रहता था। यहीं पर उसका पॉलिटिकल ऑफिस था। लेकिन इजरायल वहां उस पर हमला नहीं कर सकता था, क्योंकि कतर के रिश्ते अमेरिका के साथ बहुत अच्छे हैं।
इसके अलावा एक वजह ये भी है कि कतर में इस्माइल हानिया की हत्या के लिए इजराइल को ज्यादा जद्दोजहद करनी पड़ती। इसके अलावा, अमेरिका भी इस मामले में इजराइल का सपोर्ट नहीं करता।
वहीं, इजराइल हानिया को तुर्की में भी नहीं मार सकता था। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ये है कि तुर्की NATO का मेंबर है। वहां उसकी हत्या से नाटो देश आपत्ति उठाते।
ऐसे में इजराइल ने इस्माइल हानिया को मारने के लिए सबसे सेफ और फायदेमंद जगह ईरान को माना। हानिया तेहरान के एक अपार्टमेंट में रुका था।
इस्माइल हानिया ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए आया था। यहां वो ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई से भी मिला था।
इस्माइल हानिया तेहरान के जिस अपार्टमेंट में ठहरा था, उसे ही उड़ा दिया गया। इस हमले में हमास चीफ के साथ उसका एक बॉडीगार्ड भी मारा गया।
अब तक इस हत्या की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है। लेकिन कहा जा रहा है कि इसे इजराइल ने ही अंजाम दिया है। हानिया की हत्या के बाद हमास ने धमकी दी है कि वो इसका बदला जरूर लेगा।