ईरान-इजराइल के बीच जंग छिड़ने के आसार दिख रहे हैं। हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की हत्या के बाद ईरान ने इजराइल पर 200 बैलेस्टिक मिसाइलें दागी हैं।
हालांकि, इजराइल के एयर डिफेंस सिस्टम ने इन मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया है। लेकिन, इस हमले के बाद इजराइली पीएम नेतन्याहू ने कहा है कि ईरान को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी।
वैसे, अगर ईरान-इजराइल में जंग छिड़ी तो भारत आखिर किसका साथ देगा और क्यो, ये सवाल हर किसी के जेहन में उठ रहा होगा।
बता दें कि ईरान और इजराइल मिडिल-ईस्ट के ऐसे देश हैं, जिनसे भारत के संबंध काफी अच्छे हैं। पिछले कुछ सालों में भारत का व्यपार इजराइल के साथ दोगुना हुआ है।
ईरान के साथ भी भारत कई चीजों में ट्रेड करता है। भारत अपनी कुल जरूरत के तेल में से कुछ हिस्सा ईरान से भी आयात करता है।
हालांकि, बात जब दोनों में से किसी एक देश से खास संबंधों की आती है तो यहां इजराइल कहीं न कहीं ईरान पर भारी पड़ता है।
दरअसल, इजराइल ने कभी भी भारत के खिलाफ जाकर कोई बयान नहीं दिया, लेकिन ईरान इस मामले में कई बार भारत के फैसलों के खिलाफ खड़ा दिखा है।
हाल ही में ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई ने भारत में मुसलमानों की हालत को लेकर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने भारत पर मुस्लिमों को प्रताड़ित करने की बात भी कही।
इसके जवाब में भारत ने भी खामेनेई को आईना दिखाते हुए कहा- कि पहले वो अपना और अपने देश का रिकॉर्ड देखें। बाद में हम पर उंगली उठाएं।
इसके अलावा अयातुल्लाह खामेनेई ने 2020 के दिल्ली दंगों के अलावा कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने को लेकर भी नाराजगी जाहिर की थी।
इजराइल से भारत के संबंधों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2017 में नरेन्द्र मोदी ने इजराइल की यात्रा की। ऐसा करने वाले वो भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं।
वहीं, भारत ने ईरान में स्थित चाबहार पोर्ट का संचालन 10 साल के लिए अपने हाथ में लिया है। इसके अलावा भारत की कई ऑयल मार्केटिंग कंपनियां ईरान से सस्ती कीमत पर तेल खरीदती हैं।
हालांकि, इजराइल की तुलना में ईरान के साथ भारत का व्यापार पहले की तुलना में कम हुआ है। 2022-23 तक ईरान भारत का 59वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, जबकि इजराइल 7वां।