माना जा रहा है कि इजरायल से जंग में हिज्बुल्ला हमास का साथ दे रहा है। इजरायली हमलों में हिज्बुल्ला के कई लड़ाके मारे गए हैं। इजरायली सेना ने हिज्बुल्ला के ठिकानों पर हमला किया है।
इजरायल-हिज्बुल्ला एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन हैं। जुलाई 2006 में हिज्बुल्ला ने इजराइल के दो सैनिकों को बंधक बना लिया था। जवाब में इजराइल ने जंग छेड़ी, जो 34 दिन तक चला था।
2006 में हिज्बुल्ला-इजराइल की जंग में 1100 से ज्यादा लेबनानी नागरिकों की मौत हुई। 165 इजराइली भी मारे गए थे। युद्ध में किसी की जीत नहीं हुई लेकिन लेबनान का भारी नुकसान हुआ।
इंटरनेशनल रेड क्रॉस कमेटी के मुताबिक, 2006 की जंग में इजरायली सेना ने 30,000 से ज्यादा घर तबाह कर दिए। 109 पुल, 78 मेडिकल फैसेलिटी डैमेज कर दिया था।
2006 में हिजबुल्ला के पास करीब 5 हजार लड़ाके और कम दूरी की 14,000 मिसाइलें थीं। 17 साल बाद आज उसके पास 60 हजार से भी ज्यादा लड़ाके हैं और डेढ़ लाख मिसाइलें हैं।
हिज्बुल्ला ने अपनी 'स्पेशल फोर्स' को इजरायल में घुसपैठ करने के लिए खास ट्रेनिंग दी है। सीरिया युद्ध के दौरान हिज्बुल्ला की क्षमताएं सुधरी। अर्बन वॉरफेयर और इंटेलिजेंस काफी सुधारा।
अगर जंग हुई तो हिजबुल्ला इजराइल को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। वह इजरायल के इन्फ्रास्ट्रक्चर और इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड को निशाना बना सकता है। हालांकि, इजराइल उसे तबाह कर सकता है।
इजरायली सेना की ताकत के आगे हिज्बुल्ला ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाएगा। जानकार बताते हैं कि इजराइल 'दहिया डॉक्ट्रिन' लागू कर हिजबुल्ला और लेबनाने को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।
1982 में ईरान रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने हिजबुल्ला आतंकी संगठन बनाया, जिसका मकसद ईरान में हुई इस्लामी क्रांति को दूसरे देशों तक ले जाना, लेबनान में इजरायल के खिलाफ मोर्चा खड़े करना है