'यरुशलम पोस्ट' में दावा किया है कि इजराइल पर 7 अक्टूबर को हमास ने अचानक से ही हमले नहीं किए। इसके लिए एक साल तक हमास-ईरान ने मिलकर साजिश रची थी।
'यरुशलम पोस्ट' ने मोसाद के सूत्रों के हवाले से दावा किया कि 7 अक्टूबर से पहले हमास नेताओं और ईरानी अफसरों के बीच चार मुलाकातें हुईं। दोनों तरफ से फोन पर भी बातें हुईं।
इजराइल के इंटेलिजेंस एंड टेररिज्म इन्फॉर्मेशन सेंटर (ITIC) की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में ईरान के आला अफसरों की हमास नेताओं से चार मुलाकातें और कई बार फोन पर बातें हुईं।
मोसाद के अनुसार, इसके पुख्ता सबूत नहीं है लेकिन ये तय है कि बिना ईरान की मदद हमास इतना खौफनाक हमला नहीं कर सकता था। हमास को ईरान से फंडिंग, हथियार, ट्रेनिंग, मदद मिली।
ITIC की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान सीधे इजराइल से नहीं टकराना चाहता। इसलिए वह हमास और हिजबुल्लाह के कंधे पर बंदूक रखकर चला रहा है। पहले भी ऐसी हरकत कर चुका है।
ITIC की रिपोर्ट का दावा है कि, ईरान, हमास, इस्लामिक जिहाद इन फिलिस्तीन और हिजबुल्लाह जैसे कट्टरपंथी गुटों से अपने दुश्मनों पर हमले करवाकर खुद सीधी जंग से बचता है।
दावा है कि ईरान हिजबुल्लाह के जरिए ही अपने कट्टरपंथी एजेंडे को बढ़ाने का काम करता है। हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह ईरान के सर्वोच्च धार्मिक गुरु अली खामनेई का करीबी माना जाता है।
ITIC रिपोर्ट का दावा है, हमास सुन्नी और ईरान शिया बहुल है। बावजूद इसके हमास, ईरान और हिजबुल्लाह का मकसद इजराइल को तबाह करना है। दो साल में हमास-ईरान की नजदीकियां बढ़ी हैं।
दावा है जुलाई 2022 में ईरानी विदेश मंत्री हुसैन आमिरअब्दुल्लाहोनियान ने सीरिया में हमास नेताओं से मुलाकात की। जनवरी 2023 और जून में हमास नेताओं की ईरान नेताओं से सीक्रेट बातचीत हुई