इजरायल और ईरान में बम और रॉकेट के बीच साइबर अटैक स्टार्ट हो गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान की न्यायपालिका, विधायिका और कार्यकारी शाखा पर बड़े साइबर अटैक हुए हैं।
ईरान के साइबरस्पेस की सर्वोच्च परिषद के पूर्व सचिव फिरोजाबादी ने जानकारी दी कि उनकी जानकारियां चुरा ली गई हैं। हालांकि, इजरायल ने साइबर अटैक की पुष्टि नहीं की है।
इस महीने की शुरुआत में ईरान के मिसाइल हमलों का जवाब देने की इजराइल योजना बना रहा है। दोनों तरफ से धमकियां दी जा रही हैं। इजराइल की कैबिनेट ने इसे लेकर बैठक और चर्चा भी की है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान की सरकार इजरायल के जवाबी कार्रवाई की सोचकर डरी है। मिडिल ईस्ट के देशों के साथ बातचीत कर रही है। मकसद सिर्फ यह है कि किसी तरह इजराइल को रोका जाए।
अमेरिका कई बार इजरायल से कह चुका है कि वह ईरान की न्यूक्लियर साइट या तेल भंडार पर हमले न करें। ईरान की चिंता भी इसी बात को लेकर है कि क्या इजराइल, अमेरिका की बात मानेगा?
CNN की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की चिंता बढ़ने का सबसे बड़ा कारण हिजबुल्लाह का कमजोर होना है। क्योंकि हिजबुल्लाह उसका सबसे प्रमुख समर्थक है। ऐसे में इजराइल क्या करेगा, ये डर बना है।
रिपोर्ट के अनुसार, एक अरब राजनयिक ने बताया UAE, बहरीन और कतर समेत मिडिल ईस्ट में अमेरिकी सहयोगी देश भी ईरान पर संभावित हमले से चिंतित हैं, उन्हें पर्यावरण-आर्थिक खतरा लग रहा है।
कई जानकारों का मानना है कि बाइडन प्रशासन इस बात को लेकर चिंतित है कि इजरायल अगर ईरान पर हमला करता है तो युद्ध बड़ा हो सकता है, मजबूरन अमेरिका को भी इसमें आना पड़ सकता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, युद्ध की आशंका इसलिए है क्योंकि इजराइल पर अमेरिकी प्रभाव कम होता जा रहा है। गाजा, लेबनान, हिजबुल्लाह पर हमले को लेकर इजराइल ने अमेरिकी अपील को नजरअंदाज किया।