रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुक्रवार को ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन से मिल रहे हैं। यह मुलाकात तुर्कमेनिस्तान में 18वीं सदी के एक कवि की 300वीं जयंती कार्यक्रम में होगी।
फर्स्टपोस्ट रिपोर्ट में Lawfaremedia.org में पब्लिश लेख के हवाले से कहा, ईरान-रूस 200 सालों से प्रतिस्पर्धी रहे। पूर्व ईसानी नेता रूहोल्लाह खुमैनी सोवियत संघ से नफरत करते थे।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, लंबे समय तक एक-दूसरे के विरोधी रहे मॉस्को और तेहरान जब करीब आ रहे हैं तो इजराइल की टेंशन बढ़ रही है। इस साझेदारी से उसकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
वॉर ऑन द रॉक्स के मुताबिक, ईरान-रूस के रिश्ते में सुधार 1990 दशक से हुई, जब रूस ने ईरान को टैंक, बख्तरबंद वाहन, एंटी-टैंक मिसाइल, लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर, सैन्य हार्डवेयर दिए।
पुतिन ने 1999 में सत्ता संभालने के बाद ईरान से संबंध बेहतर बनाए। फिर ईरान रूस के हथियारों का एक बड़ा खरीदार बना। 2005 में दोनों में 1 बिलियन डॉलर के हथियार सौदे पर हस्ताक्षर हुए।
साल 2012 में व्लादिमीर पुतिन जब फिर से चुनाव जीतकर आए तो ईरान से नजदीकी बढ़ गई। CAPS के अनुसार, रूस ने ईरान पर लगाए प्रतिबंधों पर रुख बदला, SCO में पर्यवेक्षक बनने इनवाइट किया।
फॉरेन पॉलिसी के मुताबिक, रूस-ईसान का रणनीतिक गठबंधन 2015 में बना, जब दोनों मिलकर सीरिया में बशर अल असद को सत्ता पर काबिज कराया।
2016 में रूस ने ईरानी ठिकानों का इस्तेमाल कर सीरिया में विद्रोही ठिकानों पर बम बरसाए। इसी साल मॉस्को और तेहरान में हथियार और हार्डवेयर पर 10 बिलियन डॉलर की डील हुई।
रूस-ईरान के रिश्तों का सबसे अहम साल 2022 रहा, जब रूस के यूक्रेन पर आक्रमण बाद ईरान ने सैंकड़ों ड्रोन हुए दिए। रूसी सेना को इसकी ट्रेनिंग भी दी, जिससे रूसी सेना का काफी मदद मिली।
जानकारों का मानना है कि इस समय इजराइल और ईरान में तनाव चल रही है। अमेरिका इजराइल की मदद कर रहा है। ऐसे में रूस-ईरान एक हुए तो ईरान को इजराइल के खिलाफ ताकत मिल सकती है।