ईरान ने बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों का एक बड़ा भंडार है, जिसमें फतेह-313 जैसे ज्यादा सटीक वार करने वाली मिसाइलें हैं। उसके पास जो सबसे खतरनाक हथियार बैलिस्टिक मिसाइलें हैं।
ईरान मिलिट्री फोर्स मिडिल ईस्ट में सबसे बड़ी है, जो अत्याधुनिक हथियार चलाने से लेकर गुरिल्ला वॉर में ट्रेंड है। ईरानी आर्मी किसी भी कंडीशन में युद्ध करने में माहिर है।
ईरान ने ड्रोन डेवलपमेंट पर अच्छा काम किया है। मिडिल-ईस्ट में ड्रोन का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर भी है। उसके पास Mohajer-10 नाम का ऐसा ड्रोन है जो 300 Kg वजन के साथ 2000 किमी जा सकता है।
ईरान का पहाड़ी इलाका प्राकृतिक तौर पर सुरक्षा कवच की तरह काम करता है और किसी तरह की जंग में सेना को इसका सपोर्ट मिलता है।
कमांड, कंट्रोल, कम्यूनिकेशन, कंप्यूटर, इंटेलिजेंस, सर्विलांस और सर्वे (C4ISR) सिस्टम उसकी ऑपरेशनल ताकत को बढ़ाते हैं। ईरान की नौसेना बारूदी सुरंगों का इस्तेमाल करती है।
ईरान के ज्यादा मिलिट्री हार्डवेयर 1970 के दशक के हैं, जो हाईटेक और मॉर्डन जंग में कहीं नहीं ठहरते हैं।
ईरानी सेना की सबसे बड़ी कमजोरी उसका एयरफोर्स है। ईरान के ज्यादातर एयरक्राफ्ट 1941 से 1979 तक में बने हैं। कई विमान तो ढंग से चलते भी नहीं, क्योंकि उनके स्पेयर पार्ट्स अब नहीं मिलते
ईरान पर कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध हैं जो उसे हाईटेक मिलिट्री टेक्नोलॉजी और स्पेयर पार्ट्स से दूर करते हैं। जिससे अपने हथियारों के मेंटेनेंस और हाईटेक बनाने में दिक्कतें आती हैं।
एस-300 जैसी कुछ हाइटेक एयर डिफेंस सिस्टम के बावजूद ईरान के ज्यादातर हथियार ऑपरेशनल नहीं हैं। उसके टैंक और बख्तरबंद गाड़ियां काफी पुरानी हो चुकी हैं।
ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स में क्वाड्स फोर्स हाईली ट्रेंड हैं लेकिन बाकी सेना को लेकर लॉजिटिस्ट चैलेंजेस का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी ट्रेनिंग सही नहीं हो पाती है।
कई ईरानी मिसाइलों में सटीकता की कमी है, वे टारगेट को सही तरह भेद नहीं पाती हैं। उसने घरेलू हथियार तो डेवलप किए लेकिन टेक्नोलॉजी में पिछड़ जाता है।
पश्चिमी देशों ने ईरान पर बहुत कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जिसकी वजह से उसे टैंक और फाइटर जेट डेवलप करने में सफलता नहीं मिली है। रक्षा बजट और हथियार निर्यात भी कम करने पड़े हैं।
आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के मुताबिक, ईरान का ज्यादातर मिसाइल प्रोग्राम और मिलिट्री टेक्नोलॉजी के लिए रूस और चीन जैसे देशों पर निर्भर है।
घरेलू अशांति और शासन के प्रति असंतोष ईरान को मिलिट्री को तकनीकी तौर पर मजबूत बनाने के प्रयासों और रिसोर्स से भटका सकता है।
ईरान का पहाड़ी इलाका रडार कवरेज और एयर डिफेंस ऑपरेशन को कठिन बनाता है। जिससे उसके क्षेत्र के कुछ हिस्से असुरक्षित हो जाते हैं।