मोसाद की स्थापना 1951 में हुई थी। यह इजरायल के सैन्य संगठन हगानाह की खुफिया शाखा से विकसित हुआ है। यह सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है।
मोसाद के प्रसिद्ध ऑपरेशन में 1960 में एडोल्फ इचमैन को पकड़ना और म्यूनिख नरसंहार के लिए जिम्मेदार लोगों को निशाना बनाना है। इसके लिए ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड चलाया गया था।
मोसाद अपनी हत्याओं के लिए कुख्यात है। इसके एजेंट जहर मिले टूथपेस्ट और नकली सेल फोन जैसे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे शिकार को शक नहीं होता।
मोसाद ने आतंकी संगठनों के फाइनेंसिंग नेटवर्क को खत्म करने के लिए ऑपरेशन हार्पून चलाया था। इसके एजेंट गुप्त मिशन अंजाम देने के लिए नकली पहचान का इस्तेमाल करते हैं।
किडन यूनिट टारगेट किलिंग के लिए जिम्मेदार है। इसमें 40 एजेंट हैं। ये विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के हैं। मोसाद विश्व स्तर पर काम करता है। इसके एजेंट बहुत से देशों में फैले हैं।
मोसाद ने इराक और सीरिया जैसे देशों से परमाणु खतरों को विफल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अभियान दुश्मनों के दिलों में खौफ भर देते हैं।
मोसाद में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा रहीं हैं। यह एजेंसी निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करती है।
मोसाद का मुख्य फोकस आतंकवाद का मुकाबला करना है। यह वैश्विक स्तर पर विभिन्न खतरों से इजरायली नागरिकों की रक्षा करता है।
मोसाद में कई तरह की पृष्ठभूमि और कौशल वाले लोगों की भर्ती की जाती है। इसके बारे में कई तरह की कहानियां हैं, जिससे इसकी रहस्यमय छवि बनी है।
एली कोहेन को मोसाद के सबसे प्रसिद्ध जासूसों में से एक माना जाता है। उसने सीरियाई सरकार में घुसपैठ की थी। 1965 में उसे पकड़ा गया और मार दिया गया।