अगस्त, 2024 में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में हालात दिन-ब-दिन खराब होते जा रहे हैं।
हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर इस्लामिक कट्टरपंथियों की हिंसा के बाद अब बांग्लादेश की सेना में भी असंतोष झलकने लगा है।
यही वजह है कि बांग्लादेश की आर्मी में टॉप लेवल के अफसरों के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। सबसे बड़ी बात ये है कि इस चिंगारी को हवा देने का काम पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI कर रही है।
दरअसल, जून 2024 में बांग्लादेश के नए सेना प्रमुख बने जनरल वकार-उज-जमान को भारत के साथ अच्छे संबंध बनाकर चलने वाले अफसर के रूप में देखा जाता है।
हालांकि, ये बात उनके विरोधी लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान को नहीं पच रही है। रहमान बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के बेहद करीबी माने जाते हैं।
बांग्लादेश आर्मी के दो बड़े अफसरों के बीच खटपट का फायदा उठा कर पाकिस्तान ढाका में अपना ताकत बढ़ाना चाहता है।
यही वजह है कि कुछ महीनों पहले जमात-ए-इस्लामी के करीबी फैजुर रहमान ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के प्रमुख से मुलाकात की थी।
इस बैठक में दोनों के बीच बांग्लादेश में एक अलग खुफिया नेटवर्क बनाने पर चर्चा हुई, ताकि वहां के आर्मी चीफ जमान को सीधे चुनौती दी जा सके।
इसके अलावा समय-समय पर ऐसी खबरें भी आईं कि फैजुर रहमान नहीं चाहते कि जमान बांग्लादेश के आर्मी चीफ पद पर रहें। रहमान ने हाल ही में अपने गुट के अफसरों की एक मीटिंग भी ली थी।