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खुद से 400 गुना बड़े सूर्य को कैसे ग्रहण लगाता है चांद,दिलचस्प है Fact

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साल का पहला सूर्यग्रहण 8 अप्रैल को

अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको और पश्चिम के कई देशों में 2024 का पहला सूर्यग्रहण 8 अप्रैल को पड़ा। भारतीय समयानुसार रात 10 बजे इन देशों में कुछ देर के लिए सूरज पूरा ढंक गया।

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अमेरिका समेत कई देशों में साढ़े 4 मिनट तक दिन में छाया अंधेरा

इस दौरान अमेरिका में ग्रहण के रास्ते में पड़ने वाले करीब 12 राज्यों में 4 मिनट 30 सेकेंड तक अंधेरा छा गया। लोगों को दिन में ही रात का अहसास हुआ। 

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खुद से 400 गुना बड़े सूरज को आखिर कैसे ढंक लेता है चांद

आखिर कैसे खुद से 400 गुना बड़े सूर्य को ग्रहण लगाता है चांद। इसको लेकर समय-समय पर तमाम वैज्ञानिक शोध करते रहे हैं।

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...तो धरती पर कभी नहीं दिखता पूर्ण सूर्य ग्रहण

जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सैबाइन स्टेनली के मुताबिक, अगर सूरज अपने वर्तमान आकार से थोड़ा बड़ा और धरती के नजदीक होता तो पूर्ण सूर्य ग्रहण कभी नहीं लगता।

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इस वजह से होता है पूर्ण सूर्य ग्रहण

इसे संयोग ही कहेंगे कि सूर्य का आकार और उसकी दूरी उतनी ही है कि वो ग्रहण के वक्त पूरी तरह चांद से ढंक जाता है। यानी तब चंद्रमा 400 गुना बड़े सूर्य की रोशनी धरती तक आने से रोकता है।

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क्या है सूर्य ग्रहण?

वैज्ञानिकों के मुताबिक, धरती और चंद्रमा सूर्य के चक्कर लगा रहे हैं। जब धरती और सूरज के बीच चांद आ जाता है तो कुछ समय के लिए सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर नहीं आती। 

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अमावस्या पर ही क्यों होता है सूर्य ग्रहण?

अमावस वो दिन होता है जब सूर्य-चंद्रमा एक ही अंश पर आ जाते हैं। जिस अमावस पर सूर्य-चंद्रमा एक ही अंश पर हों और उनका संबंध राहु-केतु से बन जाए तो सूर्य ग्रहण लगता है।

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कब होता है खंडग्रास और खग्रास ग्रहण

अक्सर चंद्रमा, सूरज के कुछ हिस्से को ही ढंकता है। ये स्थिति खंडग्रास ग्रहण कहलाती है। जब चंद्रमा सूरज की रोशनी को पूरी तरह रोक लेता है, तब पूर्ण या खग्रास सूर्य ग्रहण कहलाता है।

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