अबू धाबी में बन रहे UAE के पहले हिंदू मंदिर में सनातन की झलक और विज्ञान का चमत्कार साथ-साथ देखने को मिल रहा है। मंदिर को बनाने में कई हाईटेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है।
BAPS के इंटरनेशनल रिलेशन के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहरिदास ने बताया कि तापमान, दबाव और भूकंपीय गतिविधि को मापने के लिए मंदिर के हर स्तर पर हाईटेक 300 से ज्यादा सेंसर लगाए गए हैं।
अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर में भूकंप मापने लगाए गए सभी सेंसर अनुसंधान के लिए लाइव डेटा उपलब्ध करवाएंगे। अगर उस क्षेत्र में कोई भूकंप आता है तो मंदिर को इसका पता चल जाएगा।
अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर में नैनो टाइल्स और भारी ग्लास पैनल लगाए गए हैं, जो गर्मी प्रतिरोधी होने के साथ पारंपरिक सौंदर्यात्मक पत्थर संरचनाओं और आधुनिक कार्यक्षमता के मेल हैं।
संयुक्त अरब अमीरात में अत्यधिक तापमान के बावजूद अबू धाबी के मंदिर में श्रद्धालुओं को गर्मी में भी नैनो टाइल्स पर चलने में दिक्कत नहीं होगी। मंदिर में अलौह सामग्री भी यूज की गई है।
UAE के मंदिर के दोनों ओर गंगा-यमुना का पवित्र जल बह रहा है। जिसे बड़े-बड़े कंटेनर में भारत से ले जाया गया है। जिस तरफ गंगा का जल बहता है वहां पर एक घाट के आकार का एम्फीथिएटर भी है।
अबू धाबी मंदिर में बलुआ पत्थर पर संगमरमर की नक्काशी हुई है। इनकी कारीगरी राजस्थान और गुजरात के कारीगरों ने 25,000 से ज्यादा पत्थर के टुकड़ों से की है।