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BRICS की दिलचस्प कहानी, कैसे दुनिया की महाशक्ति को दे रहा चुनौती

BRICS के गठन की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है। 1990 के दशक में अमेरिकी दादागिरी को खत्म करने के लिए रूस-चीन और भारत ने मिलकर संगठन बनाया था जोकि अब ब्रिक्स बन चुका है।

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तीन देशों ने 1990 में रखी थी नींव

ग्लोब पर अमेरिकी दबदबा को कम करने की नीयत से दुनिया के तीन देशों ने मिलकर एक संगठन की नींव 1990 में रखी थी। रूस के पूर्व पीएम येवगेनी प्रिमाकोव ने प्रस्ताव दिया था।

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तीन दशक की है RIC से BRICS बनने की यात्रा

RIC से BRICS बनने की यात्रा के तीन दशक से अधिक समय गुजर चुका है। चूंकि, उस समय रूस, भारत और चीन साथ थे इसलिए इसे RIC कहा गया।

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दुनिया की सबसे तेज बढ़ती इकोनॉमी वाले देश

समय के साथ ब्राजील भी इस संगठन से जुड़ा। 2001 में इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स ने इन तीनों देशों समेत ब्राजील को दुनिया की सबसे तेज बढ़ती इकोनॉमी बताया था।

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BRIC नाम इस ब्रिटिश इकोनॉमिस्ट ने दिया

गोल्डमैन सैक्स के सीनियर इकोनॉमिस्ट Jim O'Neill ने इस संगठन की आर्थिक मजबूती देखते हुए इसे BRIC नाम दिया था।

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और रीक बन गया ब्रिक

हालांकि, जब रूस, भारत और चीन (RIC) के साथ ब्राजील भी जुड़ा तो इसे आधिकारिक तौर पर BRIC नाम दिया गया।

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दक्षिण अफ्रीका साथ आया तो बदल गया स्वरूप

2010 में BRIC देशों के साथ दक्षिण अफ्रीका भी साथ आ गया। उसके संगठन का हिस्सा होते ही इसका नाम BRICS (ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ्रीका) रखा गया।

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तीन आर्थिक ताकतवर संगठनों में एक

ब्रिक्स आज की तारीख में दुनिया की तीन आर्थिक ताकतवर संगठनों में एक है। EU को भी इस संगठन ने पीछे छोड़ दिया है।

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