सार
दुनिया भर में प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। प्रदूषण की वजह बढ़ता कार्बन उत्सर्जन है। इससे क्लाइमेट चेंज जैसी नई परिस्थिति पैदा हुई है, जिससे समुद्रों के जल-स्तर में वृद्धि हो रही है। इससे समुद्र तटीय कई शहर आने वाले समय में लुप्त हो सकते हैं।
नई दिल्ली। दुनिया भर में बढ़ते कार्बन उत्सर्जन के कारण क्लाइमेट चेंज की परिस्थिति पैदा हो गई है। इसके साथ ही हर तरह का प्रदूषण भी लगातार बढ़ता जा रहा है। बड़े पैमाने पर कार्बन उत्सर्जन के कारण वायुमंडल की ओजोन परत में छिद्र हो गए हैं, जिसे वैज्ञानिकों ने खतरनाक माना है। इससे होने वाले जलवायु परिवर्तन का असर अब साफ दिखने लगा है। जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और ग्लेशियर पिघल रहे हैं। इसके चलते समुद्रों के जल-स्तर में वृद्धि हो रही है। अगर क्लाइमेंट चेंज इसी तरह बढ़ता रहा तो समुद्रों का जल-स्तर इतना बढ़ जाएगा कि उनके तट पर बसे कई शहर डूब सकते हैं। इन शहरों में दुनिया के कई प्रमुख पर्यटन स्थल शामिल हैं। आज वर्ल्ड टूरिज्म डे पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि दुनिया की वो कौन-सी प्रमुख जगहें हैं, जिनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
1. सेशेल्स
यह खूबसूरत पर्यटन स्थल हिंद महासगार के मैडास्कर तट के पास है। यहां दुनिया भर से भारी संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं। लेकिन अब समुद्र के बढ़ते जल-स्तर के कारण यहां के तट कटते जा रहे हैं। अगर यही स्थिति बनी रही तो आने वाले सौ वर्षों के दौरान यह जगह समुद्र में समा जा सकती है।
2. माउंट किलिमंजारो
यह अफ्रीका के तंजानिया में है। यह अफ्रीका महादेश का सबसे बड़ा पहाड़ है। यहां माउंट एवरेस्ट के बाद सबसे ज्यादा संख्या में पर्वतारोही आते हैं। इनके अलावा दुनिया भर से काफी पर्यटक भी यहां आते हैं। क्लाइमेंट चेंज के कारण यहां भी बड़े पैमाने पर बर्फ पिघल रही है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि साल 1912 से अब तक यहां 85 फीसदी बर्फ पिघल चुकी है। इसलिए इस पर भी खतरा मंडरा रहा है।
3. मिराडोर बेसिन-तिकाल नेशलन पार्क
यह ग्वाटेमाला में स्थित है और दुनिया भर के पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। यहां माया सभ्यता के अवशेष पाए गए हैं। लेकिन लगातार जंगलों में लगने वाली आग के कारण यह जगह भी नष्ट हो सकती है।
4. सुंदरबन
भारत में गंगा की डेल्टा पर मौजूद यह खूबसूरत पर्यटन स्थल पर भी खतरा बढ़ता जा रहा है। समुद्र के बढ़ते जल-स्तर के कारण यहां कटाव बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा अवैध तरीके से पेड़ों की कटाई भी की जा रही है। यह दुनिया की सबसे सुंदर जगहों में एक है।
5. पैटोगोनिया ग्लेशियर्स
ये ग्लेशियर्स अर्जेंटीना में हैं। तापमान के बढ़ने और बारिश कम होने से ये ग्लेशियर्स तेजी से पिघल रहे हैं। बता दें कि यहां बड़े पैमाने पर पर्यटक आते हैं।
6. जारा-डे-ला-सियेरा
यह जगह स्पेन के अंडालुसिया पहाड़ पर स्थित है। यहां के जंगलों में घूमने के लिए काफी पर्यटक आते हैं। लेकिन बढ़ते तापमान का असर यहां के जंगलों पर हो रहा है। यहां अब वर्षा बहुत कम होती है, जिसके चलते हरियाली खत्म हो रही है और दुर्लभ वन्य जीव भी लुप्त हो रहे हैं।
7. ग्लेशियर नेशनल पार्क
अमेरिका के मोंटाना का ग्लेशियर नेशनल पार्क पर्यटकों के आकर्षण का बड़ा केंद्र है। दुनिया भर से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। यहां पहले 150 ग्लेशियर थे जो अब घट कर मात्र 25 रह गए हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तापमान इसी तरह बढ़ता रहा तो आने वाले कुछ सालों में यहां के सारे ग्लेशियर खत्म हो जाएंगे।
8. माचू-पिच्चू के शिखर
माचू-पिच्चू के शिखर दक्षिण अमेरिकी देश पेरू में हैं। यह विश्व धरोहर में शामिल है। पेरू प्राचीन संस्कृति का केंद्र रहा है और इन शिखरों को देखने के लिए काफी पर्यटक आते हैं। पर अब यहां भू-स्खलन का खतरा बढ़ता जा रहा है।
9. वेनिस
नहरों का शहर कहा जाने वाला इटली का वेनिस भी पर्यावरण के खतरे से जूझ रहा है। जलवायु परिवर्तन से कहीं तो वर्षा एकदम कम होती है तो कहीं बहुत ज्यादा होती है। पिछले कुछ वर्षों से वेनिस में अधिक वर्षा होने से बाढ़ आ जाती है। इससे यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी आई है।
10. मृत सागर
मृत सागर जॉर्डन और इजरायल की सीमा पर है। यह समुद्र तल से 418 मीटर नीचे है। इसे खारे पानी की सबसे बड़ी झील भी कहा जाता है। यह 65 किलोमीटर लंबा और 18 मीटर चौड़ा है। कहा जाता है कि यहां कोई तैराक डूब नहीं सकता। यहां के पानी में बहुत किस्म के खनिज पाए जाते हैं। इसमें जॉर्डन और दूसरी नदियां आकर मिलती हैं। यहां का पानी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही बढ़िया बताया गया है। कई कंपनियां सौंदर्य प्रसाधन बनाने के लिए यहां के पानी का इस्तेमाल करती हैं। यहां हेल्थ रिजॉर्ट बनाया गया है, जहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। लेकिन पिछले 40 सालों के दौरान यहां पानी का तल 25 मीटर कम हो गया है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही स्थिति बनी रही तो कुछ दशकों में इसका अस्तित्व मिट जा सकता है।