सार

अगर कोई कहे किसी देश में अभी साल 2012 चल रहा है तो इस पर शायद ही किसी को यकीन हो, लेकिन यह सच है।

हटके डेस्क। अगर कोई कहे कि किसी देश में अभी साल 2012 चल रहा है तो इस पर शायद ही किसी को यकीन हो, लेकिन यह सच है। वैसे तो दुनिया के अलग-अलग देशों में समय में फर्क तो होता है, लेकिन साल का और महीने का फर्क होना एक अजीबोगरीब ही बात है। यह देश है अफ्रीका की सबसे ज्यादा जनसंख्या वला इथोपिया। यहां साल में 12 महीने की जगह 13 महीने होते हैं। इस देश में नया साल भी 1 जनवरी को नहीं, बल्कि 11 सितंबर को शुरू होता है। इस देश का कैलेंडर बाकी दुनिया से 7 साल, 3 महीने पीछे चलता है।

आखिर ऐसा क्यों 
दुनिया भर में आज जिस कैलेंडर को माना जाता है, वह है ग्रेगोरियन कैलेंडर। इसकी शुरुआत साल 1582 में हुई थी। इसक पहले जूलियन कैलेंडर का इस्तेमाल होता था। दुनिया के दूसरे देशों में भी साल की शुरुआत के महीने अलग थे, जैसे भारत में चैत्र मास से नए साल की शुरुआत होती है। जब ग्रेगोरियन कैलेंडर सामने आया तो कैथोलिक चर्च को मानने वाले देशों ने इसे स्वीकार कर लिया, लेकिन बहुत से देशों ने इसका विरोध किया, जिनमें इथोपिया भी शामिल था। 

इथोपियन कैलेंडर है अलग
सभी जानते हैं कि एक साल में 12 महीने होते हैं, लेकिन इथोपियन कैलेंडर अलग ही है। इसमें साल में 13 महीने होते हैं। 12 महीनों में हर महीना 30 दिनों का होता है और आखिरी 13वें महीने में 5 या 6 दिन होते हैं। अंतिम महीने का नाम वहां की स्थानीय भाषा में पाग्युमे है।

वर्ल्ड हेरिटेज में सबसे ज्यादा जगहें इथोपिया की
इथोपिया कई मामलों में खास ही देश है। यह अफ्रीका का अकेला देश है, जहां इसकी अपनी लिपि गीइज का इस्तेमाल होता है, जबकि बाकी देशों में रोमन में लिखा जाता है। यहां सिर्फ 5 साल तक इटली का शासन रहा, बाकी पूरे औपनिवेशिक काल में यह स्वतंत्र रहा। यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में सबसे ज्यादा जगहें इथोपिया की ही शामिल हैं। दुनिया की सबसे गर्म जगह डलोल यहीं है, जहां का तापमान हमेशा 41 डिग्री सेल्सियश रहता है।