सार

प बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव के रविवार को नतीजे आए। भले ही यह नतीजे प बंगाल में टीएमसी, असम में भाजपा, केरल में एलडीएफ के लिए अच्छे रहे हों, लेकिन इनमें एक बार फिर कांग्रेस का सूपड़ा साफ होता नजर आया। जहां कांग्रेस के साथ से पुडुचेरी चला गया। वहीं, प बंगाल में नंबर 2 पार्टी होने का भी ताज छिन गया। 

नई दिल्ली. प बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव के रविवार को नतीजे आए। भले ही यह नतीजे प बंगाल में टीएमसी, असम में भाजपा, केरल में एलडीएफ के लिए अच्छे रहे हों, लेकिन इनमें एक बार फिर कांग्रेस का सूपड़ा साफ होता नजर आया। जहां कांग्रेस के साथ से पुडुचेरी चला गया। वहीं, प बंगाल में नंबर 2 पार्टी होने का भी ताज छिन गया। 

बंगाल: कांग्रेस के लिए बंगाल का चुनाव बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहा। 2016 में कांग्रेस ने यहां 44 सीटें जीती थीं। वहीं, इस बार पार्टी ने वाम दलों के साथ हाथ मिलाया था। लेकिन इसके बावजूद ना तो बंगाल में कांग्रेस का खाता खुला और ना ही लेफ्ट का। कांग्रेस नेतृत्व को शायद पार्टी की स्थिति का अंदाजा हो गया था, यही वजह थी कि राहुल गांधी समेत ज्यादातर नेता चुनाव प्रचार से दूर रहे। पिछले चुनाव में कांग्रेस को 12.4% वोट मिला था। यह घटकर 2.8% रह गया। 


असम: असम में कांग्रेस को इस बार भी विपक्ष में बैठकर ही संतोष करना पड़ेगा। असम में कांग्रेस ने अकेले 29 सीटों पर जीत हासिल की। इस बार असम में कांग्रेस के साथ लेफ्ट पार्टियां, बीपीएफ, एआईयूडीएफ भी थी। कुल मिलाकर गठबंधन 46 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रहा।


केरल : 5 राज्यों में से केरल ही एक ऐसा राज्य था, जहां राहुल गांधी ने सबसे ज्यादा प्रचार किया। वे यहां के वायनाड से सांसद भी हैं। इसके बावजूद कांग्रेस केरल में कुछ खास नहीं कर पाई। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने इस बार राज्य में 41 सीटों पर बढ़त हासिल की। यानी यह कुल सीटों का सिर्फ एक तिहाई है। 


पुडुचेरी हाथ से निकला
पुडुचेरी में 2016 में कांग्रेस की सरकार बनी थी। लेकिन इसी साल बागी विधायकों के इस्तीफे के बाद नारायणसामी सरकार संकट में आ गई थी। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया था। कांग्रेस के पास इस चुनाव में वापस सत्ता में आने का मौका था। लेकिन कांग्रेस इसे नहीं भुना पाई और पुडुचेरी हाथ से गंवा दिया। 


तमिलनाडु 
5 राज्यों में तमिलनाडु ही ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस को फायदा मिला है। यहां कांग्रेस ने डीएमके के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। 10 साल बाद डीएमके की सत्ता में वापसी हुई। वहीं, कांग्रेस ने 18 सीटोंं पर जीत हासिल की। ऐसे में कांग्रेस तमिलनाडु में सत्ता में सहयोगी बनकर रहेगी।