सार

कहावत है कि जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय। यह कहावत चांदी का खनन करने वाले पावेल क्रिवोशापकिन पर सटीक बैठती है। एक बार नहीं दो बार मौत को मात देने वाले इस इंसान की कहानी भी हैरतअंगेज है।

Miracle Rescue. चांदी के खदान में काम करने वाले पावेल क्रिवोशापकिन एन-2 प्लेन पर सवार थे। उड़ान के कुछ ही देर बाद इस प्लेन के इंजन में आग लग गई और जान मुश्किल में फंसी। चालक दल तो विमान में ही जिंदा जल गए लेकिन पावेल विमान के पिछले हिस्से में फंस गए थे। तब उन्होंने जलते प्लेन से ही छलांग दी लेकिन वे जहां पहुंचे, वह मौत वाली ही जगह थी। ऐसी जगह पर पावेल ने 10 दिनों तक सर्वाइव किया और घायल होने के बावजूद भूरे भालुओं और खूंखार भेड़ियों से संघर्ष करते रहे।

विमान पर 1 टन खाना और चांदी खनन के उपकरण थे

पावेल जिस विमान पर सवार थे, वह चांदी खनन करने वाले श्रमिकों के लिए उपकरण और खाना लेकर जा रहा था। विमान पर 1 टन से ज्यादा का रसद था। विमान में आग लगी तो पावेल पीछे फंसे थे और वे जंगल में ही कूद गए। वहां भूरे भालुओं और खतरकान भेड़ियों का पूरा कुनबा था। पावेल घायल भी थे लेकिन वे जानवरों से खुद को बचाते रहे।

विमान को खाक होता देखते रहे पावेल

पावेल जिस जगह पर कूदे वहां से जलता विमान साफ दिख रहा था। वह विमान करीब 3 घंटे तक चलता रहा और खाक हो गया। आसपास सिर्फ धुएं का गुबार था। पावेल किसी तरह वहां से निकले और आगे बढ़े। तब उन्हें एक झोपड़ी में कुछ नूडल्स मिले, जिसे खाकर भूख मिटाई। इसके बाद जंगल की पत्तियां खाकर वे जिंदा रहे।

पोलार एयरलाइंस ने पावेल की जान बचाई

पावेल को जब होश आया तो उन्होंने बताया कि वे जिस घने जंगल में छिपे थे, वहां हेलीकॉप्टर की आवाज सुनाई देती थी। वे चिल्लाते और झंडा भी दिखाते लेकिन कोई उन पर ध्यान नहीं देता था। 10 दिन बाद बचाव दल में शामिल पोलार एयरलाइंस एमआई-8 हेलीकॉप्टर ने उन्हें स्पॉट किया और रेस्क्यू किया। बाद में पावेल के कहने पर चालक दल के शव खोजे गए और विमान का मलबा मिला।

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