सार
कैरीबियाई देशों के अतंरराष्ट्रीय संगठन CARICOM ने कहा है कि भारत कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) से लोगों के बचाव के लिए उदारतापूर्वक दूसरे देशों में वैक्सीनेशन प्रोग्राम में मदद कर रहा है, जबकि कई देश कोविड-19 वैक्सीन का व्यापार कर रहे हैं और यहां तक कि उसकी जमाखोरी पर उतर आए हैं।
इंटरनेशनल डेस्क। कैरीबियाई देशों के अंतरराष्ट्रीय संगठन CARICOM ने कहा है कि भारत कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) से लोगों के बचाव के लिए उदारतापूर्वक दूसरे देशों में वैक्सीनेशन प्रोग्राम में मदद कर रहा है, जबकि कई देश कोविड-19 वैक्सीन का व्यापार कर रहे हैं और यहां तक कि उसकी जमाखोरी पर उतर आए हैं। कैरीबियन कम्युनिटी के देशों ने कोविड वैक्सीनेशन में सहायता देने के लिए और वै्क्सीन उपलब्ध कराने में भारत की भूमिका के लिए आभार जताया है। एंटीगुआ (Antigua) और बारबूडा (Barbuda) के एम्बेसडर सर रोनाल्ड सैंडर्स Sir Ronald Sanders) ने परमानेंट काउंसिल ऑफ द ऑर्गनाइजेशन ऑफ अमेरिकन स्टेट्स का रेजोल्यूशन पेश किया, जो कैरीकॉम (CARICOM) द्वारा प्रायोजित है। यह रेजोल्यूशन कोविड-10 वै्क्सीन के समान वितरण के लिए है।
14 CARICOM स्टेट कर रहे भागीदारी
बता दें कि कोविड-19 वैक्सीनेशन के लिए जो रेजोल्यूशन तैयार किया गया है, उससे 14 CARICOM स्टेट जुड़े हैं और कोविड वैक्सीनेशन के अभियान में भागीदारी कर रहे हैं। इस रेजोल्यूशन में काफी मात्रा में कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए भारत के प्रति आभार व्यक्त किया गया है। एम्बेसडर सर रोनाल्ड सैंडर्स का कहना है कि भारत ने कैरीबियन के विकासशील देशों की बड़ी सहायता की है। कैरीबियन देशों में दुनिया की महज 15 फीसदी आबादी रहती है, लेकिन इन देशों ने उपलब्ध वैक्सीन का 60 फीसदी खरीदा है। भारत ने ऐसे मौके पर यह दिखाया है कि वह दूसरों का ध्यान रखने वाला देश है। वैश्विक संकट के इस दौर में भारत ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग का उदाहरण पेश किया है।
वैक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ाने की मांग
इस रेजोल्यूशन में वैक्सीन का उत्पादन करने वाले देशों से वैक्सीन प्रोडक्शन बढ़ाने की मांग की है। इसके साथ ही, वैक्सीन के तेजी से डिस्ट्रिब्यूशन और इंटरनेशनल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन्स से वैक्सीन के प्रोडक्शन के लिए कम ब्याज दर पर वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराने को कहा गया है, ताकि विकासशील देश अपनी जरूरत के मुताबिक वैक्सीन खरीद सकें। सर रोनाल्ड सैंडर्स ने कहा कि ओएएस (OAS) और इसके 34 मेंबर देशों में 45 फीसदी कोरोना संक्रमण के शिकार लोग रहे हैं और कोरोना से दुनियाभर में हुई मौतों का 48 फीसदी आंकड़ा सिर्फ इन देशों का रहा है। सैंडर्स ने कहा कि सिर्फ 2 देशों ने अपनी 10 फीसदी आबादी को एक शॉट वैक्सीन देने में सफलता पाई है। अमेरिका ने 12 फीसदी आबादी को वैक्सीन दिया है, वहीं चिली ने 10 फीसदी आबादी को।
भारत बना 'फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड'
भारत की भूमिका कोरोना वैक्सीनेशन में बेहद महत्वपूर्ण रही है। इसकी भूमिका को देखते हुए इसे 'फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड' कहा जाने लगा। भारत ने कैरीबियन क्षेत्र में 'वैक्सीन मैत्री' की शुरुआत की और ग्लोबल लीडर के तौर पर उभरा। सर रोनाल्ड सैंडर्स ने कहा कि 3 और देशों ने अपनी आबादी के 1 फीसदी हिस्से का वैक्सीनेशन किया है। वहीं, 29 मेंबर देशों के पास इतना वैक्सीन है कि वे 0.95 फीसदी आबादी का वैक्सीनेशन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से विश्व अर्थव्यवस्था को करीब 9 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है।
ये देश हैं शामिल
द ऑर्गनाइजेशन ऑफ अमेरिकन स्टेट्स 34 देशों का एक ग्रुप है। इसमें अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, मेक्सिको और अर्जेंटीना भी शामिल हैं। इनके अलावा, विकाससील और गरीब देशों की संख्या भी काफी है। 8 फरवरी को भारत ने बारबाडोस और डोमिनिका के लिए कोविड वै्क्सीन का 2 कन्साइनमेंट भेजा था। इसके अलावा भारत ने 5.7 लाख वैक्सीन डोज बतौर दान के तौर पर कैरीबियन देशों को दिया।