सार

न्यूजीलैंड के पूर्व उप प्रधानमंत्री विंस्टन पीटर्स ने फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) को न्यूजीलैंड में रिलीज किए जाने का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि अगर यह न्यूजीलैंड में रिलीज नहीं होती है तो यह न्यूजीलैंडवासियों की स्वतंत्रता पर हमला होगा।

वेलिंग्टन। 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर से कश्मीरी पंडितों के पलायन पर केंद्रित फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) इन दिनों चर्चा में है। देश-विदेश में इस फिल्म को लेकर चर्चा हो रही है। कुछ लोग इसके समर्थन में बात कर रहे हैं तो कुछ विरोध भी कर रहे हैं। न्यूजीलैंड में भी इस फिल्म को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। 

न्यूजीलैंड के पूर्व उप प्रधानमंत्री विंस्टन पीटर्स ने फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स'को न्यूजीलैंड में रिलीज किए जाने का समर्थन किया है। विंस्टन पीटर्स ने कहा है कि यह फिल्म अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और दुनिया भर के कई अन्य देशों में रिलीज हुई है। अगर यह न्यूजीलैंड में रिलीज नहीं होती है तो यह न्यूजीलैंडवासियों की स्वतंत्रता पर हमला होगा। विंस्टन पीटर्स ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर इस संबंध में पोस्ट किया। फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने समर्थन के लिए उनका धन्यवाद किया है।

विंस्टन पीटर्स ने कहा कि इस फिल्म को सेंसर करना न्यूजीलैंड में 15 मार्च के अत्याचारों की जानकारी या तस्वीरों को सेंसर करने के समान है। यह 9/11 के हमले की सभी तस्वीरों और सार्वजनिक जानकारी को हटा देने जैसा होगा। मुख्यधारा के मुसलमानों ने इस देश और दुनियाभर में आतंकवाद के सभी रूपों की इस आधार पर तुरंत और सही तरीके से निंदा की है कि इस्लाम के नाम पर हिंसा करना मुस्लिम नहीं है। न ही इस्लामोफोबिया के खिलाफ उठाए गए कदमों से इस्लाम के नाम पर आतंकवादियों का बचाव हो सकता है।

 

 

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क्या है मामला?
विवेक अग्निहोत्री ने ट्विटर पर दावा किया है कि न्यूजीलैंड सेंसर बोर्ड पर 'द कश्मीर फाइल्स' पर प्रतिबंध लगाने का दबाव था। इसके लिए निर्देशक ने कुछ सांप्रदायिक समूहों को दोषी ठहराया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्य सेंसर ने फिल्म पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन मुस्लिम समुदाय के सदस्यों द्वारा चिंता जताए जाने के बाद फिल्म के वर्गीकरण की समीक्षा की जा रही है। मुख्य सेंसर डेविड शैंक्स ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने उनसे संपर्क किया था कि फिल्म मुस्लिम विरोधी भावनाओं और संभावित नफरत को बढ़ा सकती है।

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