सार

 चंद्रयान मिशन के तहत लैंडर विक्रम का 7 सितंबर को चांद की सतह पर पहुंचने से 2 किमी पहले संपर्क टूट गया था। इसके बाद से भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) लैंडर से संपर्क साधने में जुटा है। 

नई दिल्ली. चंद्रयान मिशन के तहत लैंडर विक्रम का 7 सितंबर को चांद की सतह पर पहुंचने से 2 किमी पहले संपर्क टूट गया था। इसके बाद से भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) लैंडर से संपर्क साधने में जुटा है। उधर, नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन  (नासा) ने लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश की है। नासा ने विक्रम को हेलो मैसेज भेजा है। 

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, नासा ने डीप स्पेस नेटवर्क के जेट प्रपल्शन लैब्रटरी से विक्रम को एक रेडियो संदेश भेजा। नासा ने इसरो से सहमति मिलने के बाद रेडियो संदेश भेजकर विक्रम से संपर्क करने की कोशिश की। 
 
कमजोर होती जा रहीं हैं उम्मीदें
इसरो के मुताबिक,  विक्रम को सिर्फ 14 दिन तक ही सूरज की रोशनी मिलेगी। विक्रम से 7 सितंबर को संपर्क टूटा था। ऐसे में अब सिर्फ इसरो के पास 9 ही दिन बचे हैं। ऐसे में 20-21 सितंबर तक अगर इसरो संपर्क नहीं साध पाते तो कोशिश खत्म हो जाएगी। 

भारत के मिशन में नासा की भी रुचि
नासा ने कैलिफर्निया स्थित स्टेशन से संपर्क संदेश भेजा था। नासा शुरूआत से ही भारत के इस मिशन में रुचि दिखा रहा है। इसके कई कारण हैं। चंद्रयान -2 मिशन के सफल होने के बाद धरती से चांद की दूरी का सटीक आकलन हो सकता है। इससे नासा को भविष्य में अपने मिशनों के लिए काफी मदद मिलेगी। नासा का मानना है कि चंद्रयान-2 मिशन के तहत भेजा गया आर्बिटर भी अहम डेटा उपलब्ध करा सकता है। दक्षिण ध्रुव की तस्वीर का भी नासा इंतजार कर रहा है। दरअसल, नासा 2024 तक चांद के दक्षिण ध्रुव पर मानव मिशन भेजने की तैयारी में है।
 
लैंडिंग से सिर्फ 69 सेकंड पहले टूटा था संपर्क
चंद्रयान-2 मिशन के तहत लैंडर विक्रम की शुक्रवार-शनिवार रात 1 बजकर 53 मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग होनी थी। लेकिन लैंडर विक्रम का संपर्क लैंडिंग से सिर्फ 69 सेकंड पहले इसरो से संपर्क टूट गया था। तभी से वैज्ञानिक लगातार संपर्क साधने में जुटे थे। जब विक्रम चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह से 2.1 किमी दूर था, उसी वक्त लैंडर का धरती से संपर्क टूट गया था।

रविवार को मिली थी लैंडर की लोकेशन 
इससे पहले इसरो चीफ के सिवन ने रविवार को बताया था कि चांद की सतह पर लैंडर विक्रम की लोकेशन पता लगाने में कामयाब हुए। आर्बिटर से भेजी गईं थर्मल तस्वीरों के जरिए लोकेशन का पता लगाया गया है। इसरो ने सोमवार को बताया था कि लैंडर विक्रम को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इसरो ने बताया कि हम लगातार विक्रम से संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं। हमने हार नहीं मानी।