सार
चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर(China Pakistan Economic Corridor CPEC) को लेकर पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। यह वो प्रोजेक्ट है, जो पिछले 8 साल से दोनों देशों की प्रतिष्ठा बना हुआ है। जानिए प्रोजेक्ट के बारे में और क्यों हो रहा इसका विरोध...
इस्लामाबाद. चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर(China Pakistan Economic Corridor CPEC) पर संकट मंडरा रहा है। यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान चीन का ड्रीम प्रोजेक्ट है। लेकिन इसके विरोध में पिछले कई दिनों से पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कुछ अन्य दिक्कतों की वजह से भी कई महीनों से काम बंद पड़ा हुआ है। इमरान खान बार-बार चीन से गुजारिश करके प्रोजेक्ट का काम जल्द शुरू कराने की बात कह रहे हैं। लेकिन जैसे ही प्रोजेक्ट पर काम की बात आगे बढ़ती, पाकिस्तान में लोग विरोध पर उतर आते।
पहल जानिए क्यों हो रहा है प्रोजेक्ट का विरोध
CPEC के विरोध में बलूचिस्तान के ग्वादर में पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस प्रदर्शन में राजनीति दल, सिविल राइट्स एक्टिविस्ट्स, मछुआरे आदि शामिल हैं। इनकी मांग है कि CPEC पर काम शुरू होने से पहले लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। इनमें पेयजल, बिजली जैसी जरूरी सुविधाओं के अलावा गैर जरूरी चेक पॉइंट्स और मछली पकड़ने के बड़े ट्रॉलर हटाने की मांग भी शामिल है। 'ग्वादर मूवमेंट' के नेता मौलाना हिदायत उर रहमान इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। उनके मुताबिक, ग्वादर CPEC का अहम हिस्सा है। इससे पूरे पाकिस्तान को फायदा मिलना है, तो उन्हें भी मिलना चाहिए।
चीन बना रहा पाकिस्तान पर दबाव
CPEC प्रोजेक्ट को लेकर चीन लगातार पाकिस्तान पर दबाव बना रहा है। चूंकि पाकिस्तान कर्ज में डूबा हुआ है। वो International Monetary Fund(IFM) और दूसरे देशों से भारी-भरकम कर्ज लिए बैठा है। पाकिस्तान ब्याज भी नहीं चुका पा रहा है। ऐसे में चीन को डर है कि वो CPEC का लोन कैसे चुकता करेगा? पहले 2018 में मेनलाइन रेलवे प्रोजेक्ट का बजट 9 अरब डॉलर तय हुआ था। लेकिन 2020 में इसे घटाकर 6.8 अरब डॉलर कर दिया गया। हालांकि चीन ने फंड जारी करने पर रोक लगा रखी है। चीन चाहता है कि पाकिस्तान इस प्रोजेक्ट से हट जाए। हाल में कुछ घटनाएं भी हुई हैं। जैसे-दासू डैम प्रोजेक्ट से जुड़े इंजीनियरों की बस में हुए ब्लास्ट में चीन के 9 इंजीनियर्स मारे गए थे।
प्रोजेक्ट के बारे में
पाकिस्तान (Pakistan) के साथ मिलकर सीपीईसी प्रोजेक्ट (CPEC) पर काम कर रहे चीन (China) ने इस्लामाबाद (Islamabad) को चीनी प्रोफेशनल्स के लिए सुरक्षित माहौल बनाने को कहा है। चीन ने कहा है कि चीनी नागरिकों को सुरक्षा नहीं मिलने की वजह से परियोजनाओं की गति धीमी हो गई है जिससे इन्वेस्टर्स खासे नाराज और चिंतित हैं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) द्वारा 2013 में सत्ता में आने पर लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि और समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है। इसी के तहत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है।
तालिबान को भी इस प्रोजेक्ट में रुचि है
तालिबान ने सितंबर में चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) से जुड़ने की इच्छा जताई था। तालिबान ने कहा कि इस परियोजना से जुड़ने के बाद वो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) से जुड़ी इस्लामाबाद की चिंताओं को भी दूर कर देगा। बता दें कि यह कॉरिडोर पाक के कब्जे वाले कश्मीर(POK) से होकर गुजरता है। इसलिए भारत लगातार इसका विरोध करता आया है।
चीन और पाकिस्तान एक-दूसरे के पहले से ही समर्थक
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के झिनजियांग प्रांत से जोड़ने के लिए CPEC चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट और रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है। करीब 60 अरब डालर के इस प्रोजेक्ट की सुरक्षा के लिए चीन को पाकिस्तान पर निर्भर रहना पड़ता है।
यह भी जानिए
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा ( CPEC) एक मेगा प्रोजेक्ट है। इसका मकसद दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान से चीन के उत्तर-पश्चिमी स्वायत्त क्षेत्र शिंजियांग तक ग्वादर बंदरगाह, रेलवे और हाइवे के माध्यम से तेल और गैस की कम समय में सप्लाई करना है। कॉरिडोर ग्वादर से काशगर तक लगभग 2442 किलोमीटर लंबा है। यह कॉरिडोर POK, गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान से होकर गुजरेगा। इस प्रोजेक्ट की प्लानिंग 1950 के दशक में की गई थी, लेकिन पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता के कारण यह अटका पड़ा रहा। चीन नें साल 1998 में पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर निर्माण कार्य शुरू किया था, जो 2002 में पूरा हुआ था। चीन की शी जिनपिंग की सरकार ने 13-2014 में CPES की आधिकारिक रूप से घोषणा की थी।
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