सार

ईरान परमाणु समझौता को लेकर चीन ने अमेरिका को चेतवानी दी है. चीन का कहना है कि अमेरिका को ईरान परमाणु समझौते से हटने की अपनी गलती सुधारनी चाहिए. 

बीजिंग :  ईरान परमाणु समझौता को लेकर चीन ने अमेरिका को चेतवानी दी है. चीन का कहना है कि अमेरिका को ईरान परमाणु समझौते से हटने की अपनी गलती सुधारनी चाहिए. चीनी विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, चीनी विदेश मेंत्री वांग (Chinese foreign minister Wang Yi)  ने ईरानी विदेश मंत्री होसैन अमीरबदोल्लाहियन (Iranian foreign minister Hossein Amirabdollahian ) से कहा कि इस समझौते से हटने की जिम्मेदारी अमेरिका को लेनी चाहिए और जितनी जल्दी हो सके परमाणु समझौते में वापस आकर अपनी गलती को सुधारनी चाहिए। 

अमेरिका के समझौते से पीछे हटने से पैदा हुई मुश्किलें
चीन ने ईरान के खिलाफ अमेरिका द्वारा एकतरफा प्रतिबंधों के विरोध की पुष्टि की. इसके साथ ही चीनी और ईरानी विदेश मंत्रियों ने आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से एक समझौते भी किया. वांग ने कहा कि चीन परमाणु समझौते पर बातचीत फिर से शुरू करने का दृढ़ता से समर्थन करेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका एकतरफा तौर पर ईरान के व्यापक समझौते से हट गया। जिसने मौजूदा मुश्किल स्थिति पैदा की। उसे मुख्य जिम्मेदारी वहन करनी चाहिए।  बता दें कि शनिवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने चीन के वूशी शहर में ईरानी विदेश मंत्री अमीर-अब्दुल्लाहियन के साथ मुलाकात की. 

अमेरिका ने समझौते से हटने के बाद ईरान पर लगाए प्रतिबंध
गौतरलब है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2018 में परमाणु समझौते से हटने के बाद अमेरिका ने ईरान की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले प्रतिबंधों को फिर से लागू कर दिया. अमेरिका का कहना था कि शर्तें ईरान की परमाणु गतिविधियों। बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और क्षेत्रीय प्रभाव को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं थीं। अमेरिका के प्रतिबंध लागू करने के बाद ईरान एक साल तक खामोश रहा। इसके बाद धीरे-धीरे उल्लंघन करना शुरू कर दिया और यूरेनियम के भंडार का पुनर्निर्माण किया. 

2015 में हुआ था समझौता
गौरतलब है कि यह समझौता  2015 में हुआ था. ईरान ने चीन। फ़्रांस। रूस। जर्मनी। ब्रिटेन और अमेरिका के साथ परमाणु समझौता किया था. इस समझौते के तहत ईरान के परमाणु संवर्द्धन कार्यक्रम को सीमित करने के बदले उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में कुछ छूट दी जानी थी. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने  2018 में इस समझौते से अमेरिका अलग हो गया और ईरान को बातचीत की मेज पर वापस लाने के लिये 'अधिकतम दबाव' की नीति अपनाई। 

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