सार
Afghanistan में Taliban के शासन के साथ ही महिलाओं की 'आजादी' खतरे में पड़ गई है। तालिबान लड़ाकों की ये हंसी महिलाओं को लेकर उनकी सोच को दिखाती है।
काबुल. यह वीडियो मार्च के दौरान शूट किया गया था। अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ते कदमों को देखते हुए वाइस न्यूज(VICE News) की जर्नलिस्ट हिंद हसन(Hind Hassan) विद्रोहियों का इंटरव्यू करने पहुंची थीं। यह कार्यक्रम 7 मार्च को VICE डॉक्यूमेंट्री के रूप में प्रसारित किया गया था। जब जर्नलिस्ट ने तालिबान के कमांडर खताब(Khatab) से पूछा कि क्या महिलाओं को ऑफिस में काम करने की अनुमति मिल सकती है? इस सवाल पर लड़ाके हंसने लगे थे।
महिलाओं को वोट देने के अधिकार पर भी हंसी
जब जर्नलिस्ट ने पूछा कि क्या महिलाओं को राजनीति में आने की अनुमति होगी? इस सवाल पर तालिबान का कमांडर फिर हंसा और कैमरे की ओर इशारा करके बोला कि फिल्म बनाना बंद करो। इसे रोको। यह मुझे हंसा रहा है।
गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान की सड़कों पर महिलाएं कम नजर आती हैं। वे जानती हैं कि उन्हें बुर्का पहनना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करेंगी, तो उन्हें टॉर्चर किया जाएगा। 2001 में तालिबान के पतन के बाद, यहां महिलाएं शिक्षा और करियर को लेकर आजाद थीं। लेकिन अब फिर से यही खतरा मंडराने लगा है।
तालिबान ने जारी किया रोडमैप: कहा-महिलाओं को शरियत के हिसाब से रहना होगा
तालिबान प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद मंगलवार को दुनिया के सामने आया। उसने कहा- हमें अफगानिस्तान को आजाद कराने का गर्व है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उसने कहा कि हम इस्लाम के अनुसार देश को चलाएंगे। जबीउल्लहा मुजाहिद ने कहा, हम किसी के प्रति नफरत की भावना नहीं रखेंगे। हम बाहरी या अंदरूनी दुश्मन नहीं चाहिए। तालिबानी नेता जलालाबाद में स्ट्रैटेजी पर चर्चा कर रहे हैं। उसने कहा कि अपने नेता के आदेश पर हमने सभी को माफ कर दिया है। हम सभी की सुरक्षा की गारंटी लेते हैं। हमारे पास अपने धर्म के हिसाब से चलने का अधिकार है। दूसरे देशों में अलग नीतियां हैं, अलग धर्म है, अलग विदेशी नियम हैं। हम सभी के नियमों का सम्मान करते हैं। इस्लामी अमीरात महिलाओं को शरियत के हिसाब से अधिकार देगी। हमारी औरतों को वो अधिकार मिलेंगे जो हमारे धर्म ने उन्हें दिए हैं। हमारी औरतें मुसलमान हैं, उन्हें शरियत के हिसाब से रहना होगा।
महिलाओं ने किया था मंगलवार को प्रदर्शन
जब तालिबान नेता अपनी प्रेस कान्फ्रेंस ले रहे थे, तब काबुल में कुछ महिलाओं ने अपने हक के लिए प्रदर्शन किया था। ये महिलाएं ककाबुल के वजीर अकबर खान इलाके में जुटी थीं। इनका कहना था कि अफगानिस्तान से जुड़े मामले में उनकी भी राय ली जाए।
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