सार
ट्रम्प की भारत यात्रा पर दुनिया के दूसरे सबसे ताकतवर देश चीन की भी पैनी नजरें बनी हुई है। ऐसे में चीनी मीडिया ने सरकार को चेताया है कि ट्रम्प की भारत यात्रा को हल्के में लेना सही नहीं होगा।
बीजिंग. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सोमवार और मंगलवार को भारत के दो दिवसीय दौरे पर हैं। ट्रम्प दक्षिण एशियाई देश का दौरा करने वाले सातवें और लगातार चौथे अमेरिकी राष्ट्रपति बन जाएंगे। हालांकि भारत का विपक्ष ट्रम्प के दौरे को खास तवज्जो नहीं दे रहा है, मगर दुनिया के दूसरे सबसे ताकतवर देश चीन की पैनी नजरें ट्रम्प के भारत आगमन पर बनी हुई है। चीनी की सरकारी मीडिया ने अपनी सरकार को चेताया है कि ट्रम्प की भारत यात्रा को हल्के में लेना सही नहीं होगा।
चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने इस यात्रा को वाशिंगटन से नई दिल्ली की भू-राजनीतिक स्थिति के लिए महत्वपूर्ण बताया। हालांकि उन्होंने अपने लेख में इस बात पर खुशी भी जताई कि अमेरिका ने चीन के पड़ोसी देशों को अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति में शामिल करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।
यूएस इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी पर ध्यान दे चीन
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, "कुछ चीनी लोग ये सोचते हुए यूएस इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी को खास महत्व नहीं देते थे कि ये रणनीति व्यर्थ जाएगी। हालांकि, यह अमेरिका का रणनीतिक ध्यान केंद्रित है और वाशिंगटन ने इसमें चीन को शामिल करने के लिए कोई प्रयासों नहीं किए। खासकर चीन के खिलाफ अपनी रणनीतियों को समायोजित करने के बाद। इसलिए, बीजिंग को इस पर खास ध्यान देना चाहिए।"
चीनी ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि अमेरिका ने चीन को दुनिया में एक ताकतवर कंपटीटर" का लेबल दिया और भविष्य में चीन इस लेवल को बनाए रखेगा। पिछले कुछ सालों में कई अमेरिकी कदमों ने इस बात को और मजबूती से पेश किया।
दक्षिण एशिया में चीन को कमजोर करने की कोशिश
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, अमेरिका ने भारत के साथ स्पष्ट रणनीतिक दोस्ती गांठ ली है और इसके साथ-साथ दूर तक दक्षिण एशियाई देशों के साथ संबंधों को बढ़ावा देने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस कदम से अमेरिका देश और बाकी क्षेत्रों में चीन के प्रभाव को बेअसर करने के लिए चौतरफा सहयोग का जुटाने की कोशिश कर रहा है।
12 साल में 0 से 15 बिलियन डॉलर पहुंचा रक्षा सहयोग
ग्लोबल टाइम्स ने बीबीसी का हवाला देते हुए लिखा, "भारत में गुटनिरपेक्षता की नीति चलती है और अमेरिका के साथ इसके गठबंधन बनाने की कोई संभावना नजर नहीं आती। वहीं चीन के प्रति और भारत और भारतीय पूरी तरह सतर्क हैं। भारत-चीन संबंधों में एक तरह की कलह बनी हुई है। इसलिए वर्तमान में अगर चीन-भारत संबंधों को आगे नहीं बढ़ा सकते हैं, तो अमेरिका भारत पर अधिक प्रभाव डालने के लिए नई दिल्ली को वाशिंगटन से जोड़ने के प्रयास करेगा। अब सैन्य क्षेत्र को ही देख लें। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा व्यापार को व्यापक रूप से इस संबंध में चांदी के अस्तर के रूप में देखा जाता है। यूएस-भारत रक्षा सौदे का बजट जो पिछले एक दशक में 2008 तक जीरो था वो 2019 में 15 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।"
सिर्फ हथियारों को बेचना ही मकसद नहीं
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, "कुछ विश्लेषकों का मानना है कि भारत की अपनी यात्रा में हथियारों की बिक्री ट्रम्प के लक्ष्यों में से एक है। हालांकि, अमेरिका केवल पैसा कमाना नहीं चाहता है। हालांकि ट्रम्प एक रियल एस्टेट टाइकून हैं, लेकिन वे छोटे लाभ के बारे में परवाह नहीं करते हैं, लेकिन इसका उद्देश्य वैश्विक संबंधों को फिर से जोड़ना है, जो यूएस इंडो-पैसिफिक रणनीति का हिस्सा है।"
चीन के लिए हानिकारक है ये यात्रा
यह भी लिखा, "जाहिरतौर पर ऐसी स्थिति चीन के लिए हानिकारक है। क्योंकि शांतिपूर्ण विकास के लिए स्थिर परिवेश की आवश्यकता है। इस मामले में, भारत से उठ रहे कदम चीन के लिए बहुत जरूरी हैं। अमेरिका भारत के साथ विरोधाभासों के बारे में ज्यादा परवाह नहीं करता है। जैसा कि अमेरिका ने कभी भी भारत को एक प्रतियोगी के रूप में नहीं देखा है बल्कि एशिया के साथ संतुलन बनाने के लिए ट्रम्प ये यात्रा कर रहे हैं।"
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक नई दिल्ली के साथ संबंधों को जोड़ने की वाशिंगटन की रुचि सिर्फ बीजिंग को चिढ़ाने भर के लिए नहीं है। इसलिए अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ युद्ध के बावजूद ट्रम्प ने टेक्सास में सितंबर 2019 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया था और अब ट्रम्प भारत में अपने ग्रैंड वेलकम की उम्मीद कर रहे हैं।"
सिर्फ राजनीतिक शो नहीं है ट्रम्प की यात्रा
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक कुछ मीडिया समूहों का मानना है कि अमेरिका और भारत के बीच इस यात्रा के दौरान व्यापार समझौते की संभावना नहीं है। लेकिन ट्रम्प की यात्रा को केवल एक राजनीतिक शो के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। यह जरूरी नहीं है कि ट्रम्प अपनी यात्रा के दौरान मोदी के साथ कुछ समझौते करते हैं या नहीं। मायने रखता है कि उनकी यह यात्रा क्या रणनीतिक स्थिति लाएगी। चीन को यात्रा के माध्यम से लंबी अमेरिकी रणनीति पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। केवल सामरिक स्थिति में बदलावों को समय पर पूरा करने से ही चीन किसी भी तरह के बदलाव से पहले जवाब देने के लिए तैयार हो सकता है।